Sunday 29 January 2017

हिंदी भाषा और विकास

  • संस्कृत , पाली , प्राकृत , अपभ्रंश में  होते हुए हिंदी का विकास हुआ है .
  • हिंदी भाषा का उदभव अपभ्रंश के शौरसेनी , अर्धमागधी और मागधी रूपों से हुआ है .
  •  इतिहास में सबसे पहले नाम आता है पाली का जिसका समय 500ई .पू. से पहली शताब्दी माना गया है . 
  • इसके पश्चात् पहली शताब्दी से पांचवी शताब्दी तक का समय प्राकृत का रहा 
  • प्राकृतों से ही विभिन्न क्षेत्रीय अपभ्रंशो का विकास हुआ मोटे तौर पर अपभ्रंश का समय 500 ई. से 1000  ई तक माना गया है . 
  • आधुनिक आर्यभाषाओं का जन्म अपभ्रंश के विभिन्न क्षेत्रीय रूपों से हुआ है जो इस प्रकार है - 
  1. शौरसेनी - पश्चिमी हिंदी , राजस्थानी , पहाड़ी, गुजरती 
  2. पैशाची - लहंदा  , पंजाबी 
  3. ब्राचद - सिन्धी 
  4. महाराष्ट्री - मराठी 
  5. मागधी - बिहारी , बांग्ला , उड़िया, असमिया 
  6. अर्धमागधी - पूर्वी हिंदी .

Thursday 19 January 2017

हिंदी वर्ण

  • भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि कहलाती है . 
  • उच्चारण प्रक्रिया के आधार पर हिंदी की धव्नियों को दो भागों में बांटा गया है . १. स्वर, २. व्यंजन 
  • स्वर - वे ध्वनियाँ जिनके उच्चारण में कोई अवरोध न हो स्वर कहलातें है . 
  • हिंदी में मुख्या 11 स्वर माने गए है . जिन्हें दो भागों में बांटा गया है . हस्व व दीर्घ 
  • हस्व स्वर - अ , इ, उ , ऋ . कुल 4 
  • दीर्घ स्वर - आ, ई, ऊ , ए , ऐ , ओ , औ कुल 7 
  • प्लुत स्वर - S 
  • उच्चारण स्थान के आधार पर स्वरों का वर्गीकरण 
  अ, आ- कंठ ( गले से ) 
  इ, ई - तालव्य ( ऊपर के दन्त के ऊपर का भाग तालू से ) 
  ऋ - मूर्धन्य ( तालू से पीछे वाला भाग ) 
  उ, ऊ - ओष्ठ्य 
  ए, ऐ - कंठ तालव्य 
  ओ, औ- कंठ ओश्त्य
  अं - नासिक्य 
सभी स्वरों को एक बार उच्चारण करेंगे तो स्वयम उच्चारण स्थान जान सकेंगे . 
  • व्यंजन - वे वर्ण को स्वरों की सहायता से उच्चारित होते है . 
  • हिंदी भाषा में कुल वयंजन 33 + 2 ( उत्क्शिप्त) व्यंजन माने गएँ है . 
  • व्यंजनों को उच्चारण स्थान के आधार पर तिन भागों में बांटा गया है - 
  • 1. स्पर्श व्यंजन - 
  •        क वर्ग - क ख, ग , घ, ड ( कंठ्य )
  •        च वर्ग - च, छ, ज, झ, ज  ( तालु ) 
  •         ट वर्ग - ट , ठ, ड, ढ, ण  (मूर्धन्य ) 
  •        त वर्ग - त , थ, द, ध, न  (वर्त्स्य )
  •        प वर्ग - प , फ, ब, भ, म ( दंतोष्ठय )  ( कुल 25 ) 
  • 2. अन्तस्थ - य ( तालु )  , र (वर्त्स्य ) , ल ,व् (दन्त ओष्ठ्य ),  ( कुल 4) 
  • 3. उष्म - श, स (वर्त्स्य ), ष ( तालु )  , ह.   ( कुल 4 )