. मुहावरे
सामान्य अर्थ का बोध न कराकर विशेष अथवा विलक्षण अर्थ का बोध कराने वाले पदबन्ध को मुहावरा कहते हैँ। इन्हेँ वाग्धारा भी कहते हैँ।
सामान्य अर्थ का बोध न कराकर विशेष अथवा विलक्षण अर्थ का बोध कराने वाले पदबन्ध को मुहावरा कहते हैँ। इन्हेँ वाग्धारा भी कहते हैँ।
मुहावरा एक ऐसा वाक्यांश है, जो रचना मेँ अपना विशेष अर्थ प्रकट करता है। रचना मेँ भावगत सौन्दर्य की दृष्टि से मुहावरोँ का विशेष महत्त्व है। इनके प्रयोग से भाषा सरस, रोचक एवं प्रभावपूर्ण बन जाती है। इनके मूल रूप मेँ कभी परिवर्तन नहीँ होता अर्थात् इनमेँ से किसी भी शब्द का पर्यायवाची शब्द प्रयुक्त नहीँ किया जा सकता। हाँ, क्रिया पद मेँ काल, पुरुष, वचन आदि के अनुसार परिवर्तन अवश्य होता है। मुहावरा अपूर्ण वाक्य होता है। वाक्य प्रयोग करते समय यह वाक्य का अभिन्न अंग बन जाता है। मुहावरे के प्रयोग से वाक्य मेँ व्यंग्यार्थ उत्पन्न होता है। अतः मुहावरे का शाब्दिक अर्थ न लेकर उसका भावार्थ ग्रहण करना चाहिए।
प्रमुख मुहावरे व उनका अर्थ:
• अंग–अंग खिल उठना
– प्रसन्न हो जाना।
• अंग छूना
– कसम खाना।
• अंग–अंग टूटना
– सारे बदन में दर्द होना।
• अंग–अंग ढीला होना
– बहुत थक जाना।
• अंग–अंग मुसकाना
– बहुत प्रसन्न होना।
• अंग–अंग फूले न समाना
– बहुत आनंदित होना।
• अंगड़ाना
– अंगड़ाई लेना, जबरन पहन लेना।
• अंकुश रखना
– नियंत्रण रखना।
•अंग लगाना
– लिपटाना।
• अंगारा होना
– क्रोध मेँ लाल हो जाना।
• अंगारा उगलना
– जली–कटी सुनाना।
•अंगारोँ पर पैर रखना
– जोखिम मोल लेना।
• अँगूठे पर मारना
– परवाह न करना।
• अँगूठा दिखाना
– निराश करना या तिरस्कारपूर्वक मना करना।
• अंगूर खट्टे होना
– प्राप्त न होने पर उस वस्तु को रद्दी बताना।
• अंजर–पंजर ढीला होना
– अंग–अंग ढीला होना।
• अंडा फूट जाना
– भेद खुल जाना।
• अंधा बनाना
– ठगना।
• अँधे की लकड़ी/लाठी
– एकमात्र सहारा।
• अंधे को चिराग दिखाना
– मूर्ख को उपदेश देना।
• अंधाधुंध
– बिना सोचे–विचारे।
• अंधानुकरण करना
– बिना विचारे अनुकरण करना।
• अंधेर खाता
– अव्यवस्था।
• अंधेर नगरी
– वह स्थान जहाँ कोई नियम व्यवस्था न हो।
• अंधे के हाथ बटेर लगना
– बिना प्रयास भारी चीज पा लेना।
• अंधोँ मेँ काना राजा
– अयोग्य व्यक्तियोँ के बीच कम योग्य भी बहुत योग्य होता है।
• अँधेरे घर का उजाला
– अति सुन्दर/इकलौती सन्तान।
• अँधेरे मेँ रखना
– भेद छिपाना।
• अँधेरे मुँह
– पौ फटते।
• अंधेरे–उजाले
– समय–कुसमय।
• अकड़ना
– घमण्ड करना।
• अक्ल का दुश्मन
– मूर्ख।
• अक्ल चकराना
– कुछ समझ में न आना।
• अक्ल का अंधा होना
– बेअक्ल होना।
• अक्ल आना
– समझ आना।
• अक्ल का कसूर
– बुद्धि दोष।
• अक्ल काम न करना
– कुछ समझ न आना।
• अक्ल के घोड़े दौड़ाना
– तरह–तरह की कल्पना करना।
• अक्ल के तोते उड़ना
– होश ठिकाने न रहना।
• अक्ल के बखिए उधेड़ना
– बुद्धि नष्ट कर देना।
• अक्ल जाती रहना
– घबरा जाना।
• अक्ल ठिकाने होना
– होश मेँ आना।
• अक्ल ठिकाने ला देना
– समझा देना।
• अक्ल से दूर/बाहर होना
– समझ मेँ न आना।
• अक्ल का पूरा
– मूर्ख।
• अक्ल पर पत्थर पड़ना
– बुद्धि से काम न लेना।
• अक्ल चरने जाना
– बुद्धि का न होना।
• अक्ल का पुतला
– बुद्धिमान।
• अक्ल के पीछे लठ लिए फिरना
– मूर्खता का काम करना।
• अपनी खिचड़ी खुद पकाना
– मिलजुल कर न रहना।
• अपना उल्लू सीधा करना
– स्वार्थ सिद्ध करना।
• अपना सा मुँह लेकर रहना
– लज्जित होना।
• अरमान निकालना
– मन का गुबार पूरा करना।
• अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना
– अपनी बड़ाई आप करना।
• अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना
– जानबूझकर अपना नुकसान करना।
• अपना राग अलापना
– अपनी ही बातोँ पर बल देना।
• अगर–मगर करना
– बहाना करना।
• अटकलेँ भिड़ाना
– उपाय सोचना।
• अपने पैरोँ पर खड़ा होना
– स्वावलंबी होना।
• अक्षर से भेँट न होना
– अनपढ़ होना।
• अटखेलियाँ करना
– किलोल करना।
• अडंगा करना
– होते कार्य मेँ बाधा डालना।
• अड़ पकड़ना
– जिद करना/पनाह मेँ आना।
• अता होना
– मिलना।
• अथाह मेँ पड़ना
– मुश्किल मेँ पड़ना।
• अदब करना
– सम्मान करना।
• अधर मेँ झूलना
– दुविधा मेँ रहना।
• अधूरा जाना
– असमय गर्भपात होना।
• अनसूनी करना
– जानबूझकर उपेक्षा करना।
• अनी की चोट
– सामने की चोट।
• अपनी–अपनी पड़ना
– सबको अपनी चिँता होना।
• अपनी नीँद सोना
– इच्छानुसार कार्य करना।
• अपना हाथ जगन्नाथ
– स्वाधिकार होना।
• अरण्य रोदन
– निष्फल निवेदन।
• अवसर चूकना
– सुयोग का लाभ न उठाना।
• अवसर ताकना
– मौका ढूँढना।
• आँख का तारा
– बहुत प्यारा होना/अति प्रिय।
• आँख उठाना
– क्रोध से देखना।
• आँख बन्द कर काम करना
– ध्यान न देना।
• आँख चुराना
– छिपना।
• आँख मारना
– इशारा करना।
• आँख तरसना
– देखने के लालायित होना।
• आँख फेर लेना
– प्रतिकूल होना।
• आँख बिछाना
– प्रतीक्षा करना।
• आँखें सेंकना
– सुंदर वस्तु को देखते रहना।
• आँख उठाना
– देखने का साहस करना।
• आँख खुलना
– होश आना।
• आँख लगना
– नींद आना अथवा प्यार होना।
• आँखों पर परदा पड़ना
– लोभ के कारण सच्चाई न दीखना।
• आँखों में समाना
– दिल में बस जाना।
• आँखे चुराना
– अनदेखा करना।
• आँखेँ चार होना
– आमने–सामने होना/प्रेम होना।
• आँखेँ दिखाना
– गुस्से से देखना।
• आँखेँ फेरना
– बदल जाना, प्रतिकूल होना।
• आँखेँ पथरा जाना
– देखते–देखते थक जाना।
• आँखे बिछाना
– प्रेम से स्वागत करना।
• आँखोँ का काँटा होना
– बुरा लगना/अप्रिय व्यक्ति।
• आँखोँ पर बिठाना
– आदर करना।
• आँखोँ मेँ धूल झोँकना
– धोखा देना।
• आँखोँ का पानी ढलना
– निर्लज्ज बन जाना।
• आँखोँ से गिरना
– आदर समाप्त होना।
• आँखोँ पर परदा पड़ना
– बुद्धि भ्रष्ट होना।
• आँखोँ मेँ रात कटना
– रात–भर जागते रहना।
• आँच न आने देना
– थोड़ी भी हानि न होने देना।
• आँसू पीकर रह जाना
– भीतर ही भीतर दुःखी होना।
• आकाश के तारे तोड़ना
– असम्भव कार्य करना।
• आकाश–पाताल एक करना
– कठिन प्रयत्न करना।
• आग मेँ घी डालना
– क्रोध और अधिक बढ़ाना।
• आग से खेलना
– जानबूझकर मुसीबत मेँ फँसना।
• आग पर पानी डालना
– उत्तेजित व्यक्ति को शान्त करना।
• आटे–दाल का भाव मालूम होना
– कठिनाई मेँ पड़ जाना।
• आसमान से बातेँ करना
– ऊँची कल्पना करना।
• आड़े हाथ लेना
– खरी–खरी सुनाना।
• आसमान सिर पर उठाना
– बहुत शोर करना।
• आँचल पसारना
– भीख माँगना।
• आँधी के आम होना
– बहुत सस्ती वस्तु मिलना।
• आँसू पोँछना
– धीरज देना।
• आग–पानी का बैर
– स्वाभाविक शत्रुता।
• आसमान पर चढ़ना
– बहुत अधिक अभिमान करना।
• आग–बबूला होना
– बहुत क्रोध करना।
• आपे से बाहर होना
– अत्यधिक क्रोध से काबू मेँ न रहना।
• आकाश का फूल
– अप्राप्य वस्तु।
• आसमान पर उड़ना
– अभिमानी होना।
• आस्तीन का साँप
– विश्वासघाती मित्र।
• आकाश चूमना
– बहुत ऊँचा होना।
• आग लगने पर कुआँ खोदना
– पहले से कोई उपाय न कर रखना।
• आग लगाकर तमाशा देखना
– झगड़ा पैदा करके खुश होना।
• आटे के साथ घुन पिसना
– दोषी के साथ निर्दोषी की भी हानि होना।
• आधा तीतर आधा बटेर
– बेमेल काम।
• आसमान के तारे तोड़ना
– असंभव कार्य करना।
• आसमान फट पड़ना
– अचानक आफत आ पड़ना।
• आँचल देना
– दूध पिलाना।
• आँचल मेँ गाँठ बाँधना
– अच्छी तरह याद कर लेना।
• आँचल फैलाना
– अति विनम्रता पूर्वक प्रार्थना करना।
• आँधी उठना
– हलचल मचना।
• आँसू गिराना
– रोना।
• आँसूओँ से मुँह धोना
– बहुत रोना।
• आकाश कुसुम
– अनहोनी बात।
• आकाश खुलना
– बादल हटना।
• आकाश–पाताल का अन्तर होना
– बहुत बड़ा अन्तर।
• आग का पुतला
– बहुत क्रोधी।
• आग के मोल
– बहुत महँगा।
• आग लगाना
– झगड़ा कराना।
• आग मेँ कूदना
– स्वयं को खतरे मेँ डालना।
• आग पर लोटना
– बेचैन होना/ईर्ष्या करना।
• आग बुझा लेना
– कसर निकालना।
• आग भी न लगाना
– तुच्छ समझना।
• आग मेँ झोँकना
– अनिष्ट मेँ डाल देना।
• आग से पानी होना
– क्रोधावस्था से एकदम शान्त हो जाना।
• आगे–पीछे की सोचना
– भावी परिणाम पर दृष्टि रखना।
• आगे करना
– हाजिर करना/अगुआ करना/आड़ लेना।
• आगे–पिछे फिरना
– खुशामद करना।
• आगे होकर फिरना
– आगे बढ़कर स्वागत करना।
• आज–कल करना
– टालमटोल करना।
• ईँट का जवाब पत्थर से देना
– किसी के आरोप का करारा जवाब देना/कड़ाई से पेश आना।
• ईँट से ईँट बजाना
– नष्ट–भ्रष्ट कर देना/विनाश करना।
• इधर–उधर की लगाना
– चुगली करना।
• इधर–उधर की हाँकना
– व्यर्थ की गप्पे मारना।
• ईद का चाँद होना
– बहुत दिनोँ बाद दिखाई देना।
• उँगली उठाना
– लाँछन लगाना/दोष निकालना।
• उँगली पर नचाना
– वश मेँ करना/अपनी इच्छानुसार चलाना।
• उँगली पकड़कर पहुँचा पकड़ना
– तनिक–सा सहारा पाकर पूरे पर अधिकार जमा लेना/मन की बात ताड़ जाना।
• उल्टी गंगा बहाना
– नियम के विरुद्ध कार्य करना।
• उल्लू बनाना
– मूर्ख बनाना।
• उल्लू सीधा करना
– स्वार्थ सिद्ध करना।
• उधेड़बुन मेँ पड़ना
– सोच–विचार करना।
• उन्नीस बीस का अंतर होना
– बहुत कम अंतर होना।
• उड़ती चिड़िया पहचानना
– किसी की गुप्त बात जान लेना।
• उल्टी माला फेरना
– बुरा सोचना।
• उल्टे उस्तरे से मूँडना
– धृष्टतापूर्वक ठगना।
• उठा न रखना
– कमी न छोड़ना।
• उल्टी पट्टी पढ़ाना
– और का और कहकर बहकाना।
• एक आँख से देखना
– सबको बराबर समझना।
• एक और एक ग्यारह होना
– मेल मेँ शक्ति होना।
• एड़ी–चोटी का जोर लगाना
– पूरी शक्ति लगाकर कार्य करना।
• एक लाठी से हाँकना
– अच्छे–बुरे का विचार किए बिना समान व्यवहार करना।
• एक घाट पानी पीना
– एकता और सहनशीलता होना।
• एक ही थैली के चट्टे–बट्टे
– सब एक से, सभी समान रूप से बुरे व्यक्ति।
• एक हाथ से ताली न बजना
– किसी एक पक्ष का दोष न होना।
• एक ही नौका मेँ सवार होना
– एक समान परिस्थिति मेँ होना, किसी भी कार्य के लिए सभी पक्षोँ की सक्रियता अनिवार्य होती है।
• एक आँख न भाना
– तनिक भी अच्छा न लगना।
• ओँठ चबाना
– क्रोध प्रकट करना।
• ओखली मेँ सिर देना
– जानबूझकर विपत्ति मेँ फँसना।
• कंठ का हार होना
– अत्यंत प्रिय होना।
• कंगाली मेँ आटा गीला
– गरीबी मेँ और अधिक हानि होना।
• कंधे से कंधा मिलाना
– पूरा सहयोग करना।
• कच्चा चिट्ठा खोलना
– भेद खोलना, छिपे हुए दोष बताना।
• कच्ची गोली खेलना
– अनुभवी न होना।
• कलेजा टूक टूक होना
– शोक में दुखी होना।
• कटी पतंग होना
– निराश्रित होना।
• कलेजा ठण्डा होना
– संतोष होना।
• कलई खुलना
– पोल खुलना।
• कमर कसना
– तैयार होना/किसी कार्य को दृढ़ निश्चय के साथ करना।
• कठपुतली होना
– दूसरे के इशारे पर चलना।
• कलेजा थामना
– दुःख सहने के लिए कलेजा कड़ा करना।
• कमर टूटना
– कमजोर पड़ जाना/हतोत्साहित होना।
• कब्र मेँ पैर लटकना
– मृत्यु के समीप होना।
• कढ़ी का सा उबाल
– मामूली जोश।
• कड़वे घूँट पीना
– कष्टदायक बात सहन कर जाना।
• कलेजा छलनी होना
– बहुत दुःखी होना।
• कलेजा निकालकर रख देना
– सब कुछ समर्पित कर देना।
• कलेजा फटना
– असहनीय दुःख होना।
• कलेजा मुँह को आना
– व्याकुल होना या घबरा जाना।
• कलेजे का टुकड़ा
– अत्यधिक प्रिय होना।
• कलेजे पर पत्थर रखना
– चुपचाप सहन करना।
• कलेजे पर साँप लोटना
– ईर्ष्या से जलना।
• कसौटी पर कसना
– परखना/परीक्षा लेना।
• कटे पर नमक छिड़कना
– दुःखी को और दुःखी करना।
• काँटे बिछाना
– मार्ग मेँ बाधा उत्पन्न करना।
• कागज काले करना
– व्यर्थ लिखना।
• काठ का उल्लू
– अत्यंत मूर्ख।
• कान खड़े होना
– सावधान होना।
• कान पर जूँ न रेँगना
– असर न होना।
• कान मेँ फूँक मारना
– प्रभावित करना।
• कान भरना
– चुगली करना।
• कान लगाकर सुनना
– ध्यान से सुनना।
• कानोँ मेँ तेल/रुई डालना
– ध्यान न देना।
• काम आना
– युद्ध मेँ मरना।
• काम तमाम करना
– मार देना।
• काया पलट होना
– बिल्कुल बदल जाना।
• कालिख पोतना
– बदनाम करना।
• कागज की नाव
– अस्थायी/क्षण भंगुर।
• कान कतरना
– मात करना/बहुत चतुर होना।
• कान का कच्चा
– हर किसी बात पर विश्वास करने वाला।
• कागजी घोड़े दौड़ाना
– केवल लिखा–पढ़ी करते रहना/बहुत पत्र व्यवहार करना।
• कानोँ मेँ उँगली देना
– कोई आश्चर्यकारी बात सुनकर दंग रहना।
• काल के गाल मेँ जाना
– मृत्यु–पथ पर बढ़ना।
• किताब का कीड़ा
– हर समय पढ़ते रहना।
• कीचड़ उछालना
– बदनामी करना/नीचता दिखाना/कलंक लगाना।
• कुएँ मेँ बाँस डालना
– बहुत दूर तक खोज करना।
• कुएँ मेँ भांग पड़ना
– सब की बुद्धि मारी जाना।
• कोल्हू का बैल
– कड़ी मेहनत करते रहने वाला।
• कौड़ी के मोल बिकना
– अत्यधिक सस्ता होना।
• कौड़ी–कौड़ी पर जान देना
– कंजूस होना।
• खटाई मेँ पड़ना
– टल जाना/काम मेँ रुकावट आना।
• खाक मेँ मिलना
– नष्ट हो जाना।
• खाक मेँ मिलाना
– नष्ट कर देना।
• ख्याली पुलाव बनाना
– कपोल कल्पनाएँ करना।
• खालाजी का घर
– आसान काम।
• खाक छानना
– बेकार फिरना/दर–दर भटकना।
• खिचड़ी पकाना
– गुप्त रूप से षड्यंत्र रचना।
• खून का प्यासा
– भयंकर दुश्मनी/शत्रु।
• खून का घूँट पीना
– क्रोध को अंदर ही अंदर सहना।
• खून सूखना
– डर जाना।
• खून खौलना
– जोश मेँ आना।
• खून–पसीना एक करना
– बहुत परिश्रम करना।
• खून सफेद हो जाना
– दया न रह जाना।
• खेत रहना
– मारा जाना।
• गंगा नहाना
– बड़ा कार्य कर देना।
• गत बनाना
– पीटना।
• गर्दन उठाना
– विरोध करना।
• गले का हार
– अत्यंत प्रिय।
• गड़े मुर्दे उखाड़ना
– पिछली बुरी बातेँ याद करना।
• गर्दन पर सवार होना
– पीछे पड़े रहना।
• गज भर की छाती होना
– साहसी होना।
• गाँठ बाँधना
– अच्छी तरह याद रखना।
• गाल बजाना
– डीँग मारना।
• गागर मेँ सागर भरना
– थोड़े मेँ बहुत कुछ कहना।
• गाजर मूली समझना
– तुच्छ समझना।
• गिरगिट की तरह रंग बदलना
– बहुत जल्दी अपनी बात से बदलना।
• गीदड़ भभकी
– दिखावटी धमकी।
• गुड़–गोबर करना
– बना बनाया कार्य बिगाड़ देना।
• गुल खिलाना
– कोई बखेड़ा खड़ा करना/ऐसा कार्य करना जो दूसरोँ को उचित न लगे।
• गुदड़ी मेँ लाल होना
– गरीबी मेँ भी गुणवान होना।
• गूलर का फूल
– दुर्लभ का व्यक्ति या वस्तु।
• गेहूँ के साथ घुन पिसना
– दोषी के साथ निर्दोष पर भी संकट आना।
• गोबर गणेश
– बिल्कुल बुद्धू/निरा मूर्ख।
• घर फूँककर तमाशा देखना
– अपनी हानि करके मौज उड़ाना।
• घड़ोँ पानी पड़ना
– बहुत लज्जित होना।
• घड़ी मेँ तोला घड़ी मेँ माशा
– अस्थिर चित्त वाला व्यक्ति।
• घर मेँ गंगा बहाना
– बिना कठिनाई के कोई अच्छी वस्तु पास मेँ ही मिल जाना।
• घास खोदना
– व्यर्थ समय गँवाना।
• घाट–घाट का पानी पीना
– बहुत अनुभवी होना।
• घाव पर नमक छिड़कना
– दुःखी को और दुःख देना।
• घी के दिये जलाना
– बहुत खुशियाँ मनाना।
• घुटने टेक देना
– हार मान लेना।
• घोड़े बेचकर सोना
– निश्चिन्त होना।
• चलती चक्की मेँ रोड़ा अटकाना
– कार्य मेँ बाधा डालना।
• चंडाल चौकड़ी
– निकम्मे बदमाश लोग।
• चप्पा–चप्पा छान मारना
– हर जगह ढूँढ लेना।
• चाँदी का जूता
– घूस का धन।
• चाँदी का जूता देना
– रिश्वत देना।
• चाँदी होना
– लाभ ही लाभ होना।
• चादर से बाहर पैर पसारना
– आमदनी से अधिक खर्च करना।
• चादर तानकर सोना
– निश्चिँत होना।
• चार चाँद लगाना
– शोभा बढ़ाना।
• चार दिन की चाँदनी
– थोड़े दिनोँ का सुख/अस्थायी वैभव।
• चिकना घड़ा
– बेशर्म।
• चिकना घड़ा होना
– कोई प्रभाव न पड़ना।
• चिराग तले अँधेरा
– दूसरोँ को उपदेश देने वाले व्यक्ति का स्वयं अच्छा आचरण नहीँ करना।
• चिकनी–चुपड़ी बातेँ करना
– मीठी–मीठी बातेँ करके धोखा देना/चापलूसी करना।
• चीँटी के पर निकलना
– नष्ट होने के करीब होना/अधिक घमण्ड करना।
• चुटिया हाथ मेँ होना
– वश मेँ होना।
• चुल्लू भर पानी मेँ डूब मरना
– लज्जा का अनुभव करना/शर्म के मारे मुँह न दिखाना।
• चूना लगाना
– धोखा देना।
• चूड़ियाँ पहनना
– औरतोँ की तरह कायरता दिखाना।
• चेहरे पर हवाईयाँ उड़ना
– घबरा जाना।
• चैन की बंशी बजाना
– सुख से रहना।
• चोटी का पसीना एड़ी तक आना
– कड़ा परिश्रम करना।
• चोली दामन का साथ
– घनिष्ठ सम्बन्ध।
• चौदहवीँ का चाँद
– बहुत सुन्दर।
• छक्के छुड़ाना
– बुरी तरह हरा देना।
• छठी का दूध याद आना
– घोर संकट मेँ पड़ना/संकट मेँ पिछले सुख की याद आना।
• छप्पर फाड़कर देना
– अचानक लाभ होना/बिना प्रयास के सम्पत्ति मिलना।
• छाती पर पत्थर रखना
– चुपचाप दुःख सहन करना।
• छाती पर साँप लोटना
– बहुत ईर्ष्या करना।
• छाती पर मूँग दलना
– बहुत परेशान करना/कष्ट देना।
• छूमन्तर होना
– गायब हो जाना।
• छोटे मुँह बड़ी बात करना
– अपनी हैसियत से ज्यादा बात कहना।
• जंगल मेँ मंगल होना
– उजाड़ मेँ चहल–पहल होना।
• जमीन पर पैर न रखना
– अधिक घमण्ड करना।
• जहर का घूँट पीना
– असह्य बात सहन कर लेना।
• जलती आग मेँ कूदना
– विपत्ति मेँ पड़ना।
• जबान पर चढ़ना
– याद आना।
• जबान मेँ लगाम न होना
– बेमतलब बोलते जाना।
• जमीन आसमान एक करना
– सब उपाय कर डालना।
• जमीन आसमान का फर्क
– बहुत भारी अंतर।
• जलती आग मेँ तेल डालना
– और भड़काना।
• जहर उगलना
– कड़वी बातेँ करना।
• जान के लाले पड़ना
– गम्भीर संकट मेँ पड़ना।
• जान पर खेलना
– मुसीबत मेँ रहकर काम करना।
• जान हथेली पर रखना
– प्राणोँ की परवाह न करना।
• जी चुराना
– किसी काम से दूर भागना।
• जी का जंजाल
– व्यर्थ का झंझट।
• जी भर जाना
– हृदय द्रवित होना।
• जीती मक्खी निगलना
– जानबूझकर बेईमानी करना।
• जी पर आ बनना
– मुसीबत मेँ आ फँसना।
• जी चुराना
– काम करने से कतराना।
• जूतियाँ चटकाना/तोड़ना
– मारे–मारे फिरना।
• जूतियाँ/जूते चाटना
– चापलूसी करना।
• जूतियोँ मेँ दाल बाँटना
– लड़ाई झगड़ा हो जाना।
• जोड़–तोड़ करना
– उपाय करना।
• झक मारना
– व्यर्थ परिश्रम करना।
• झाडू फिराना
– सब कुछ बर्बाद कर देना।
• झोली भरना
– अपेक्षा से अधिक देना।
• टका–सा जवाब देना
– दो टूक/रूखा उत्तर देना या मना करना।
• टट्टी की ओट मेँ शिकार खेलना
– छिपकर षड्यन्त्र रचना।
• टका–सा मुँह लेकर रह जाना
– लज्जित हो जाना।
• टाँग अड़ाना
– हस्तक्षेप करना।
• टाँय–टाँय फिस हो जाना
– काम बिगड़ जाना।
• टेढ़ी उँगली से घी निकालना
– शक्ति से कार्य सिद्ध करना।
• टेढ़ी खीर
– कठिन काम।
• टूट पड़ना
– सहसा आक्रमण कर देना।
• टोपी उछालना
– अपमान करना।
• ठंडा पड़ना
– क्रोध शान्त होना।
• ठन–ठन गोपाल
– निर्धन व्यक्ति/खोखला।
• ठिकाने आना
– ठीक स्थान पर आना।
• ठीकरा फोड़ना
– दोष लगाना।
• ठोकर खाना
– हानि उठाना।
• डंका बजाना
– ख्याति होना/प्रभाव जमाना/घोषणा करना।
• डंके की चोट कहना
– स्पष्ट कहना।
• डकार जाना
– किसी की चीज को लेकर न देना/माल पचा जाना।
• डोरी ढीली छोड़ना
– नियन्त्रण मेँ ढील देना।
• डोरे डालना
– प्रेम मेँ फँसाना।
• ढपोरशंख होना
– झूठा या गप्पी आदमी।
• ढाई दिन की बादशाहत
– थोड़े दिन की मौज–बहार।
• ढिँढोरा पीटना
– अति प्रचारित करना/सबको बताना।
• ढोल मेँ पोल होना
– थोथा या सारहीन।
• तलवे चाटना
– खुशामद करना।
• तार–तार होना
– पूरी तरह फट जाना।
• तारे गिनना
– रात को नीँद न आना/व्यग्रता से प्रतीक्षा करना।
• तिल का ताड़ करना
– बढ़ा चढ़ाकर बातेँ करना।
• तितर–बितर होना
– बिखर कर भाग जाना।
• तीन का तेरह होना
– अलग–अलग होना।
• तूती बोलना
– खूब प्रभाव होना।
• तेल की कचौड़ियोँ पर गवाही देना
– सस्ते मेँ काम करना।
• तेली का बैल होना
– हर समय काम मेँ लगे रहना।
• तेवर चढ़ाना
– गुस्सा होना।
• थाह लेना
– पता लगाना।
• थाली का बैँगन
– लाभ–हानि देखकर पक्ष बदलने वाला व्यक्ति/सिद्धान्तहीन व्यक्ति।
• थूककर चाटना
– बात कहकर बदल जाना।
• दबे पाँव चलना
– ऐसे चलना जिससे चलने की कोई आहट न हो।
• दमड़ी के लिए चमड़ी उधेड़ना
– मामूली सी बात के लिए भारी दण्ड देना।
• दम तोड़ देना
– मृत्यु को प्राप्त होना।
• दाँतोँ तले उँगली दबाना
– आश्चर्य करना/हैरान होना।
• दाँत पीसना
– क्रोध करना।
• दाँत पीसकर रहना
– क्रोध पीकर चुप रहना।
• दाँत काटी रोटी होना
– घनिष्ठ मित्रता।
• दाँत उखाड़ना
– कड़ा दण्ड देना।
• दाँत खट्टे करना
– परास्त करना/नीचा दिखाना।
• दाई से पेट छिपाना
– परिचित से रहस्य को छिपाये रखना।
• दाने–दाने को तरसना
– अत्यंत गरीब होना।
• दाल मेँ काला होना
– सन्देहपूर्ण होना/गड़बड़ होना।
• दाल न गलना
– वश नहीँ चलना/सफल न होना।
• दाहिना हाथ होना
– अत्यन्त विश्वासपात्र बनना/बहुत बड़ा सहायक।
• दामन पकड़ना
– सहारा लेना।
• दाना–पानी उठना
– जगह छोड़ना।
• दिन फिरना
– भाग्य पलटना।
• दिन मेँ तारे दिखाई देना
– घबरा जाना/अजीब हालत होना।
• दिन–रात एक करना
– खूब परिश्रम करना।
• दिन दूनी रात चौगुनी होना
– बहुत जल्दी–जल्दी होना।
• दिमाग आसमान पर चढ़ना
– बहुत घमण्ड होना।
• दुम दबाकर भागना
– डर के मारे भागना।
• दूध का दूध और पानी का पानी
– उचित न्याय करना।
• दूध का धुला/धोया होना
– निर्दोष या निष्कलंक होना।
• दूध के दाँत न टूटना
– ज्ञान और अनुभव का न होना।
• दो दिन का मेहमान
– जल्दी मरने वाला।
• दो नावोँ पर पैर रखना
– दोनोँ तरफ रहना/एक साथ दो लक्ष्योँ को पाने की चेष्टा करना।
• दो टूक जवाब देना
– साफ–साफ उत्तर देना।
• दौड़–धूप करना
– कठोर श्रम करना।
• दृष्टि फेरना
– अप्रसन्न होना।
• धज्जियाँ उड़ाना
– नष्ट–भ्रष्ट करना।
• धरती पर पाँव न पड़ना
– अभिमान मेँ रहना।
• धूल फाँकना
– व्यर्थ मेँ भटकना।
• धूप मेँ बाल सफेद करना
– अनुभवहीन होना।
• धूल मेँ मिल जाना
– नष्ट हो जाना।
• नकेल हाथ मेँ होना
– वश मेँ होना।
• नमक मिर्च लगाना
– बात बढ़ा–चढ़ाकर कहना।
• नाक कटना
– बदनामी होना।
• नाक काटना
– अपमानित करना।
• नाक चोटी काटकर हाथ मेँ देना
– दुर्दशा करना।
• नाक भौँ चढ़ाना
– घृणा या असन्तोष प्रकट करना।
• नाक पर मक्खी न बैठने देना
– बहुत साफ रहना/अपने पर आँच न आने देना।
• नाक रगड़ना
– दीनता दिखाना।
• नाक रखना
– मान रखना।
• नाक में दम करना
– बहुत तंग करना।
• नाक का बाल होना
– किसी के ज्यादा निकट होना।
• नाकोँ चने चबाना
– बहुत तंग करना।
• नानी याद आना
– कठिनाई मेँ पड़ना/घबरा जाना।
• निन्यानवेँ के फेर मेँ पड़ना
– पैसा जोड़ने के चक्कर मेँ पड़ना।
• नीला–पीला होना
– गुस्से होना।
• नौ दो ग्यारह होना
– भाग जाना।
• नौ दिन चले ढाई कोस
– बहुत धीमी गति से कार्य करना।
• पगड़ी उछालना
– बेइज्जत करना।
• पगड़ी रखना
– इज्जत रखना।
• पसीना–पसीना होना
– बहुत थक जाना।
• पहाड़ टूट पड़ना
– भारी विपत्ति आ जाना।
• पाँचोँ उँगलियाँ घी मेँ होना
– सब ओर से लाभ होना।
• पाँव उखड़ना
– हारकर भाग जाना।
• पाँव फूँक–फूँक कर रखना
– सावधानी से कार्य करना।
• पानी-पानी होना
– अत्यधिक लज्जित होना।
• पानी में आग लगाना
– शांति भंगकर देना।
• पानी फेर देना
– निराश कर देना।
• पानी भरना
– तुच्छ लगना।
• पानी पी–पीकर कोसना
– गालियाँ बकते जाना।
• पानी का मोल होना
– बहुत सस्ता।
• पापड़ बेलना
– बेकार जीवन बिताना।
• पीठ दिखाना
– कायरता का आचरण करना।
• पेट काटना
– अपने ऊपर थोड़ा खर्च करना।
• पेट मेँ चूहे दौड़ना/कूदना
– भूख लगना।
• पेट बाँधकर रहना
– भूखे रहना।
• पेट मेँ रखना
– बात छिपाकर रखना।
• पेट मेँ दाढ़ी होना
– दिखने मेँ सीधा, परन्तु चालाक होना।
• पैर उखड़ना
– भागने पर विवश होना।
• पैर जमीन पर न टिकना
– प्रसन्न होना, अभिमानी होना।
• पैरोँ तले से जमीन निकल/खिसक/सरक जाना
– होश उड़ जाना।
• पैरोँ मेँ मेँहदी लगाकर बैठना
– कहीँ जा न सकना।
• पौ बारह होना
– खूब लाभ होना।
• प्राण हथेली पर लिए फिरना
– जीवन की परवाह न करना।
• फट पड़ना
– एकदम गुस्से मेँ हो जाना।
• फूँक–फूँककर कदम रखना
– सावधानी बरतना।
• फूटी आँख न सुहाना
– अच्छा न लगना।
• फूला न समाना
– अत्यधिक खुश होना।
• फूलकर कूप्पा होना
– बहुत खुश या बहुत नाराज होना।
• बंदर घुड़की/भभकी
– प्रभावहीन धमकी।
• बखिया उधेड़ना
– भेद खोलना।
• बछिया का ताऊ
– मूर्ख।
• बट्टा लगना
– कलंक लगना।
• बड़े घर की हवा खाना
– जेल जाना।
• बरस पड़ना
– अति क्रुद्ध होकर डाँटना।
• बल्लियोँ उछलना
– बहुत प्रसन्न होना।
• बाँए हाथ का खेल
– बहुत सरल काम।
• बाँछे खिल जाना
– अत्यंत प्रसन्न होना।
• बाजार गर्म होना
– काम–धंधा तेज होना।
• बात का धनी होना
– वचन का पक्का होना।
• बाल की खाल निकालना
– नुकता–चीनी करना/बहुत तर्क–वितर्क करना।
• बाल बाँका न होना/कर सकना
– कुछ भी नुकसान न होना/कर सकना।
• बाल–बाल बचना
– बड़ी कठिनाई से बचना।
• बासी कढ़ी मेँ उबाल आना
– समय बीत जाने पर इच्छा जागना।
• बिल्ली के गल्ले मेँ घंटी बाँधना
– अपने को संकट मेँ डालना।
• बेपेँदी का लोटा
– ढुलमुल/पक्ष बदलने वाला।
• भंडा फोड़ना
– भेद खोल देना।
• भाड़ झोँकना
– समय व्यर्थ खोना।
• भाड़े का टट्टू
– पैसे लेकर ही काम करने वाला।
• भीगी बिल्ली बनना
– सहम जाना।
• भैँस के आगे बीन बजाना
– मूर्ख आदमी को उपदेश देना।
• मक्खन लगाना
– चापलूसी करना।
• मक्खियाँ मारना
– बेकार रहना।
• मन के लड्डू
– मनमोदक/कल्पना करना।
• माथा ठनकना
– संदेह होना।
• मिट्टी का माधो
– बिल्कुल बुद्धू।
• मिट्टी खराब करना
– बुरा हाल करना।
• मिट्टी मेँ मिल जाना
– बर्बाद होना।
• मुँहतोड़ जवाब देना
– बदले मेँ करारी चोट करना।
• मुँह की खाना
– हार मानना।
• मुँह में पानी भर आना
– खाने को जी ललचाना।
• मुँह खून लगना
– रिश्वत लेने की आदत पड़ जाना।
• मुँह छिपाना
– लज्जित होना।
• मुँह रखना
– मान रखना।
• मुँह पर कालिख पोतना
– कलंक लगाना।
• मुँह उतरना
– उदास होना।
• मुँह ताकना
– दूसरे पर आश्रित होना।
• मुँह बंद करना
– चुप कर देना।
• मुट्ठी मेँ होना
– वश मेँ होना।
• मुट्ठी गर्म करना
– रिश्वत देना।
• मोहर लगा देना
– पुष्टि करना।
• मौत सिर पर खेलना
– मृत्यु समीप होना।
• रंग उड़ना
– घबरा जाना।
• रंग मेँ भंग पड़ना
– आनन्दपूर्ण कार्य मेँ बाधा पड़ना।
• रंग बदलना
– परिवर्तन होना।
• रंगा सियार होना
– धोखा देने वाला।
• रफूचक्कर होना
– भाग जाना।
• राई का पहाड़ बनाना
– जरा–सी बात को बढ़ा–चढ़ाकर प्रस्तुत करना।
• रोँगटे खड़े होना
– डर से रोमांचित होना।
• रोड़ा अटकाना
– बाधा डालना।
• रोम–रोम खिल उठना
– प्रसन्न होना।
• लँगोटी मेँ फाग खेलना
– गरीबी मेँ आनन्द लूटना।
• लकीर पीटना
– पुरानी रीति पर चलना।
• लकीर का फकीर होना
– प्राचीन परम्पराओँ को सख्ती से मानने वाला।
• लड़ाई मोल लेना
– झगड़ा पैदा करना।
• लट्टू होना
– मस्त होना/मोहित होना।
• ललाट मेँ लिखा होना
– भाग्य मेँ बदा होना।
• लहू का घूँट पीना
– अपमान सहन करना।
• लाख का घर राख
– धनी का निर्धन हो जाना।
• लाल–पीला होना
– क्रोधित होना।
• लुटिया डुबोना
– काम बिगाड़ना।
• लेने के देने पड़ना
– लाभ के स्थान पर हानि होना।
• लोहा मानना
– किसी की शक्ति स्वीकार करना।
• लोहे के चने चबाना
– कठिन काम करना/बहुत संघर्ष करना।
• विष उगलना
– द्वेषपूर्ण बातेँ करना/बुरा–भला कहना।
• शहद लगाकर चाटना
– तुच्छ वस्तु को महत्त्व देना।
• शिकार हाथ लगना
– आसामी मिलना।
• शैतान की आँत
– लम्बी बात।
• शैतान के कान कतरना
– बहुत चालाक होना।
• श्रीगणेश करना
– शुरु करना।
• सब्ज बाग दिखाना
– कोरा लोभ देकर बहकाना।
• साँप को दूध पिलाना
– दुष्ट की रक्षा करना।
• साँप–छछूंदर की गति होना
– असंमजस या दुविधा की दशा होना।
• साँप सूँघ जाना
– गुप–चुप हो जाना।
• सात घाट का पानी पीना
– विस्तृत अनुभव होना।
• सिँदूर चढ़ाना
– लड़की का विवाह होना।
• सिट्टी–पिट्टी गुम हो जाना
– होश उड़ जाना।
• सितारा चमकना
– भाग्यशाली होना।
• सिर पर कफना बाँधना
– बलिदान देने के लिए तैयार होना।
• सिर पर सवार होना
– पीछे पड़ना।
• सिर पर चढ़ना
– मुँह लगना।
• सिर मढ़ना
– जिम्मे लगाना।
• सिर मुँड़ाते ओले पड़ना
– काम शुरु होते ही बाधा आना।
• सिर से बला टलना
– मुसीबत से पीछा छुटना।
• सिर आँखोँ पर रखना
– आदर सहित आज्ञा मानना।
• सिर पर हाथ होना
– सहारा होना, वरदहस्त होना।
• सिर पर भूत सवार होना
– धुन लगाना।
• सिर पर मौत खेलना
– मृत्यु समीप होना।
• सिर पर खून सवार होना
– मरने-मारने को तैयार होना।
• सिर–धड़ की बाजी लगाना
– प्राणों की भी परवाह न करना।
• सिर नीचा करना
– लजा जाना।
• सिर उठाना
– विद्रोह करना।
• सिर ओखली मेँ देना
– जान–बूझकर मुसीबत मोल लेना।
• सिर पर चढ़ाना
– अत्यधिक मनमानी करने की छूट देना।
• सिर से पानी गुजरना
– सहनशीलता समाप्त होना।
• सिर पर पाँव रखकर भागना
– तेजी से भागना।
• सिर धुनना
– पछताना।
• सीँग काटकर बछड़ोँ मेँ मिलना
– बूढ़े होकर भी बच्चोँ जैसा काम करना।
• सूखे धान पर पानी पड़ना
– दशा सुधरना।
• सूर्य को दीपक दिखाना
– अत्यन्त प्रसिद्ध व्यक्ति का परिचय देना।
• सोने की चिड़िया हाथ से निकलना
– लाभपूर्ण वस्तु से वंचित रहना।
• सोने पर सुहागा होना
– अच्छी वस्तु का और अधिक अच्छा होना।
• हक्का–बक्का रहना
– आश्चर्यचकित होना/हैरान रह जाना।
• हथियार डाल देना
– हार मान लेना।
• हवाई किले बनाना
– थोथी कल्पना करना।
• हथेली पर सरसोँ उगना
– कम समय मेँ अधिक कार्य करना।
• हजामत बनाना
– लूटना/ठगना।
• हथेली पर जान लिए फिरना
– मरने की परवाह न करना।
• हवा लगना
– असर पड़ना।
• हवा से बातें करना
– बहुत तेज दौड़ना।
• हवा हो जाना
– गायब हो जाना/भाग जाना।
• हवा पलटना
– समय बदल जाना।
• हवा का रुख पहचानना
– अवसर की आवश्यकता को पहचानना।
• हाथ का मैल
– साधारण चीज।
• हाथ कट जाना
– परवश होना।
• हाथ मेँ करना
– अपने वश मेँ करना।
• हाथ को हाथ न सूझना
– घना अन्धकार होना।
• हाथ खाली होना
– रुपया-पैसा न होना।
• हाथ खींचना
– साथ न देना।
• हाथ पे हाथ धरकर बैठना
– निकम्मा होना/बिना कार्य के बैठे रहना।
• हाथों के तोते उड़ना
– दुःख से हैरान होना/अचानक घबरा जाना।
• हाथोंहाथ
– बहुत जल्दी/तत्काल।
• हाथ मलते रह जाना
– पछताना।
• हाथ साफ करना
– चुरा लेना/बेईमानी से लेना।
• हाथ–पाँव मारना
– प्रयास करना।
• हाथ–पाँव फूलना
– घबरा जाना।
• हाथ डालना
– शुरू करना।
• हाथ फैलाना
– माँगना।
• हाथ धोकर पीछे पड़ना
– बुरी तरह पीछे पड़ना/पीछा न छोड़ना।
• हिन्दी की चिन्दी निकालना
– बात की तह तक पहुँचना।
• हुक्का–पानी बन्द कर देना
– जाति से बाहर कर देना।
• हुलिया बिगाड़ना
– दुर्गत करना।
प्रमुख मुहावरे व उनका अर्थ:
• अंग–अंग खिल उठना
– प्रसन्न हो जाना।
• अंग छूना
– कसम खाना।
• अंग–अंग टूटना
– सारे बदन में दर्द होना।
• अंग–अंग ढीला होना
– बहुत थक जाना।
• अंग–अंग मुसकाना
– बहुत प्रसन्न होना।
• अंग–अंग फूले न समाना
– बहुत आनंदित होना।
• अंगड़ाना
– अंगड़ाई लेना, जबरन पहन लेना।
• अंकुश रखना
– नियंत्रण रखना।
•अंग लगाना
– लिपटाना।
• अंगारा होना
– क्रोध मेँ लाल हो जाना।
• अंगारा उगलना
– जली–कटी सुनाना।
•अंगारोँ पर पैर रखना
– जोखिम मोल लेना।
• अँगूठे पर मारना
– परवाह न करना।
• अँगूठा दिखाना
– निराश करना या तिरस्कारपूर्वक मना करना।
• अंगूर खट्टे होना
– प्राप्त न होने पर उस वस्तु को रद्दी बताना।
• अंजर–पंजर ढीला होना
– अंग–अंग ढीला होना।
• अंडा फूट जाना
– भेद खुल जाना।
• अंधा बनाना
– ठगना।
• अँधे की लकड़ी/लाठी
– एकमात्र सहारा।
• अंधे को चिराग दिखाना
– मूर्ख को उपदेश देना।
• अंधाधुंध
– बिना सोचे–विचारे।
• अंधानुकरण करना
– बिना विचारे अनुकरण करना।
• अंधेर खाता
– अव्यवस्था।
• अंधेर नगरी
– वह स्थान जहाँ कोई नियम व्यवस्था न हो।
• अंधे के हाथ बटेर लगना
– बिना प्रयास भारी चीज पा लेना।
• अंधोँ मेँ काना राजा
– अयोग्य व्यक्तियोँ के बीच कम योग्य भी बहुत योग्य होता है।
• अँधेरे घर का उजाला
– अति सुन्दर/इकलौती सन्तान।
• अँधेरे मेँ रखना
– भेद छिपाना।
• अँधेरे मुँह
– पौ फटते।
• अंधेरे–उजाले
– समय–कुसमय।
• अकड़ना
– घमण्ड करना।
• अक्ल का दुश्मन
– मूर्ख।
• अक्ल चकराना
– कुछ समझ में न आना।
• अक्ल का अंधा होना
– बेअक्ल होना।
• अक्ल आना
– समझ आना।
• अक्ल का कसूर
– बुद्धि दोष।
• अक्ल काम न करना
– कुछ समझ न आना।
• अक्ल के घोड़े दौड़ाना
– तरह–तरह की कल्पना करना।
• अक्ल के तोते उड़ना
– होश ठिकाने न रहना।
• अक्ल के बखिए उधेड़ना
– बुद्धि नष्ट कर देना।
• अक्ल जाती रहना
– घबरा जाना।
• अक्ल ठिकाने होना
– होश मेँ आना।
• अक्ल ठिकाने ला देना
– समझा देना।
• अक्ल से दूर/बाहर होना
– समझ मेँ न आना।
• अक्ल का पूरा
– मूर्ख।
• अक्ल पर पत्थर पड़ना
– बुद्धि से काम न लेना।
• अक्ल चरने जाना
– बुद्धि का न होना।
• अक्ल का पुतला
– बुद्धिमान।
• अक्ल के पीछे लठ लिए फिरना
– मूर्खता का काम करना।
• अपनी खिचड़ी खुद पकाना
– मिलजुल कर न रहना।
• अपना उल्लू सीधा करना
– स्वार्थ सिद्ध करना।
• अपना सा मुँह लेकर रहना
– लज्जित होना।
• अरमान निकालना
– मन का गुबार पूरा करना।
• अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना
– अपनी बड़ाई आप करना।
• अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना
– जानबूझकर अपना नुकसान करना।
• अपना राग अलापना
– अपनी ही बातोँ पर बल देना।
• अगर–मगर करना
– बहाना करना।
• अटकलेँ भिड़ाना
– उपाय सोचना।
• अपने पैरोँ पर खड़ा होना
– स्वावलंबी होना।
• अक्षर से भेँट न होना
– अनपढ़ होना।
• अटखेलियाँ करना
– किलोल करना।
• अडंगा करना
– होते कार्य मेँ बाधा डालना।
• अड़ पकड़ना
– जिद करना/पनाह मेँ आना।
• अता होना
– मिलना।
• अथाह मेँ पड़ना
– मुश्किल मेँ पड़ना।
• अदब करना
– सम्मान करना।
• अधर मेँ झूलना
– दुविधा मेँ रहना।
• अधूरा जाना
– असमय गर्भपात होना।
• अनसूनी करना
– जानबूझकर उपेक्षा करना।
• अनी की चोट
– सामने की चोट।
• अपनी–अपनी पड़ना
– सबको अपनी चिँता होना।
• अपनी नीँद सोना
– इच्छानुसार कार्य करना।
• अपना हाथ जगन्नाथ
– स्वाधिकार होना।
• अरण्य रोदन
– निष्फल निवेदन।
• अवसर चूकना
– सुयोग का लाभ न उठाना।
• अवसर ताकना
– मौका ढूँढना।
• आँख का तारा
– बहुत प्यारा होना/अति प्रिय।
• आँख उठाना
– क्रोध से देखना।
• आँख बन्द कर काम करना
– ध्यान न देना।
• आँख चुराना
– छिपना।
• आँख मारना
– इशारा करना।
• आँख तरसना
– देखने के लालायित होना।
• आँख फेर लेना
– प्रतिकूल होना।
• आँख बिछाना
– प्रतीक्षा करना।
• आँखें सेंकना
– सुंदर वस्तु को देखते रहना।
• आँख उठाना
– देखने का साहस करना।
• आँख खुलना
– होश आना।
• आँख लगना
– नींद आना अथवा प्यार होना।
• आँखों पर परदा पड़ना
– लोभ के कारण सच्चाई न दीखना।
• आँखों में समाना
– दिल में बस जाना।
• आँखे चुराना
– अनदेखा करना।
• आँखेँ चार होना
– आमने–सामने होना/प्रेम होना।
• आँखेँ दिखाना
– गुस्से से देखना।
• आँखेँ फेरना
– बदल जाना, प्रतिकूल होना।
• आँखेँ पथरा जाना
– देखते–देखते थक जाना।
• आँखे बिछाना
– प्रेम से स्वागत करना।
• आँखोँ का काँटा होना
– बुरा लगना/अप्रिय व्यक्ति।
• आँखोँ पर बिठाना
– आदर करना।
• आँखोँ मेँ धूल झोँकना
– धोखा देना।
• आँखोँ का पानी ढलना
– निर्लज्ज बन जाना।
• आँखोँ से गिरना
– आदर समाप्त होना।
• आँखोँ पर परदा पड़ना
– बुद्धि भ्रष्ट होना।
• आँखोँ मेँ रात कटना
– रात–भर जागते रहना।
• आँच न आने देना
– थोड़ी भी हानि न होने देना।
• आँसू पीकर रह जाना
– भीतर ही भीतर दुःखी होना।
• आकाश के तारे तोड़ना
– असम्भव कार्य करना।
• आकाश–पाताल एक करना
– कठिन प्रयत्न करना।
• आग मेँ घी डालना
– क्रोध और अधिक बढ़ाना।
• आग से खेलना
– जानबूझकर मुसीबत मेँ फँसना।
• आग पर पानी डालना
– उत्तेजित व्यक्ति को शान्त करना।
• आटे–दाल का भाव मालूम होना
– कठिनाई मेँ पड़ जाना।
• आसमान से बातेँ करना
– ऊँची कल्पना करना।
• आड़े हाथ लेना
– खरी–खरी सुनाना।
• आसमान सिर पर उठाना
– बहुत शोर करना।
• आँचल पसारना
– भीख माँगना।
• आँधी के आम होना
– बहुत सस्ती वस्तु मिलना।
• आँसू पोँछना
– धीरज देना।
• आग–पानी का बैर
– स्वाभाविक शत्रुता।
• आसमान पर चढ़ना
– बहुत अधिक अभिमान करना।
• आग–बबूला होना
– बहुत क्रोध करना।
• आपे से बाहर होना
– अत्यधिक क्रोध से काबू मेँ न रहना।
• आकाश का फूल
– अप्राप्य वस्तु।
• आसमान पर उड़ना
– अभिमानी होना।
• आस्तीन का साँप
– विश्वासघाती मित्र।
• आकाश चूमना
– बहुत ऊँचा होना।
• आग लगने पर कुआँ खोदना
– पहले से कोई उपाय न कर रखना।
• आग लगाकर तमाशा देखना
– झगड़ा पैदा करके खुश होना।
• आटे के साथ घुन पिसना
– दोषी के साथ निर्दोषी की भी हानि होना।
• आधा तीतर आधा बटेर
– बेमेल काम।
• आसमान के तारे तोड़ना
– असंभव कार्य करना।
• आसमान फट पड़ना
– अचानक आफत आ पड़ना।
• आँचल देना
– दूध पिलाना।
• आँचल मेँ गाँठ बाँधना
– अच्छी तरह याद कर लेना।
• आँचल फैलाना
– अति विनम्रता पूर्वक प्रार्थना करना।
• आँधी उठना
– हलचल मचना।
• आँसू गिराना
– रोना।
• आँसूओँ से मुँह धोना
– बहुत रोना।
• आकाश कुसुम
– अनहोनी बात।
• आकाश खुलना
– बादल हटना।
• आकाश–पाताल का अन्तर होना
– बहुत बड़ा अन्तर।
• आग का पुतला
– बहुत क्रोधी।
• आग के मोल
– बहुत महँगा।
• आग लगाना
– झगड़ा कराना।
• आग मेँ कूदना
– स्वयं को खतरे मेँ डालना।
• आग पर लोटना
– बेचैन होना/ईर्ष्या करना।
• आग बुझा लेना
– कसर निकालना।
• आग भी न लगाना
– तुच्छ समझना।
• आग मेँ झोँकना
– अनिष्ट मेँ डाल देना।
• आग से पानी होना
– क्रोधावस्था से एकदम शान्त हो जाना।
• आगे–पीछे की सोचना
– भावी परिणाम पर दृष्टि रखना।
• आगे करना
– हाजिर करना/अगुआ करना/आड़ लेना।
• आगे–पिछे फिरना
– खुशामद करना।
• आगे होकर फिरना
– आगे बढ़कर स्वागत करना।
• आज–कल करना
– टालमटोल करना।
• ईँट का जवाब पत्थर से देना
– किसी के आरोप का करारा जवाब देना/कड़ाई से पेश आना।
• ईँट से ईँट बजाना
– नष्ट–भ्रष्ट कर देना/विनाश करना।
• इधर–उधर की लगाना
– चुगली करना।
• इधर–उधर की हाँकना
– व्यर्थ की गप्पे मारना।
• ईद का चाँद होना
– बहुत दिनोँ बाद दिखाई देना।
• उँगली उठाना
– लाँछन लगाना/दोष निकालना।
• उँगली पर नचाना
– वश मेँ करना/अपनी इच्छानुसार चलाना।
• उँगली पकड़कर पहुँचा पकड़ना
– तनिक–सा सहारा पाकर पूरे पर अधिकार जमा लेना/मन की बात ताड़ जाना।
• उल्टी गंगा बहाना
– नियम के विरुद्ध कार्य करना।
• उल्लू बनाना
– मूर्ख बनाना।
• उल्लू सीधा करना
– स्वार्थ सिद्ध करना।
• उधेड़बुन मेँ पड़ना
– सोच–विचार करना।
• उन्नीस बीस का अंतर होना
– बहुत कम अंतर होना।
• उड़ती चिड़िया पहचानना
– किसी की गुप्त बात जान लेना।
• उल्टी माला फेरना
– बुरा सोचना।
• उल्टे उस्तरे से मूँडना
– धृष्टतापूर्वक ठगना।
• उठा न रखना
– कमी न छोड़ना।
• उल्टी पट्टी पढ़ाना
– और का और कहकर बहकाना।
• एक आँख से देखना
– सबको बराबर समझना।
• एक और एक ग्यारह होना
– मेल मेँ शक्ति होना।
• एड़ी–चोटी का जोर लगाना
– पूरी शक्ति लगाकर कार्य करना।
• एक लाठी से हाँकना
– अच्छे–बुरे का विचार किए बिना समान व्यवहार करना।
• एक घाट पानी पीना
– एकता और सहनशीलता होना।
• एक ही थैली के चट्टे–बट्टे
– सब एक से, सभी समान रूप से बुरे व्यक्ति।
• एक हाथ से ताली न बजना
– किसी एक पक्ष का दोष न होना।
• एक ही नौका मेँ सवार होना
– एक समान परिस्थिति मेँ होना, किसी भी कार्य के लिए सभी पक्षोँ की सक्रियता अनिवार्य होती है।
• एक आँख न भाना
– तनिक भी अच्छा न लगना।
• ओँठ चबाना
– क्रोध प्रकट करना।
• ओखली मेँ सिर देना
– जानबूझकर विपत्ति मेँ फँसना।
• कंठ का हार होना
– अत्यंत प्रिय होना।
• कंगाली मेँ आटा गीला
– गरीबी मेँ और अधिक हानि होना।
• कंधे से कंधा मिलाना
– पूरा सहयोग करना।
• कच्चा चिट्ठा खोलना
– भेद खोलना, छिपे हुए दोष बताना।
• कच्ची गोली खेलना
– अनुभवी न होना।
• कलेजा टूक टूक होना
– शोक में दुखी होना।
• कटी पतंग होना
– निराश्रित होना।
• कलेजा ठण्डा होना
– संतोष होना।
• कलई खुलना
– पोल खुलना।
• कमर कसना
– तैयार होना/किसी कार्य को दृढ़ निश्चय के साथ करना।
• कठपुतली होना
– दूसरे के इशारे पर चलना।
• कलेजा थामना
– दुःख सहने के लिए कलेजा कड़ा करना।
• कमर टूटना
– कमजोर पड़ जाना/हतोत्साहित होना।
• कब्र मेँ पैर लटकना
– मृत्यु के समीप होना।
• कढ़ी का सा उबाल
– मामूली जोश।
• कड़वे घूँट पीना
– कष्टदायक बात सहन कर जाना।
• कलेजा छलनी होना
– बहुत दुःखी होना।
• कलेजा निकालकर रख देना
– सब कुछ समर्पित कर देना।
• कलेजा फटना
– असहनीय दुःख होना।
• कलेजा मुँह को आना
– व्याकुल होना या घबरा जाना।
• कलेजे का टुकड़ा
– अत्यधिक प्रिय होना।
• कलेजे पर पत्थर रखना
– चुपचाप सहन करना।
• कलेजे पर साँप लोटना
– ईर्ष्या से जलना।
• कसौटी पर कसना
– परखना/परीक्षा लेना।
• कटे पर नमक छिड़कना
– दुःखी को और दुःखी करना।
• काँटे बिछाना
– मार्ग मेँ बाधा उत्पन्न करना।
• कागज काले करना
– व्यर्थ लिखना।
• काठ का उल्लू
– अत्यंत मूर्ख।
• कान खड़े होना
– सावधान होना।
• कान पर जूँ न रेँगना
– असर न होना।
• कान मेँ फूँक मारना
– प्रभावित करना।
• कान भरना
– चुगली करना।
• कान लगाकर सुनना
– ध्यान से सुनना।
• कानोँ मेँ तेल/रुई डालना
– ध्यान न देना।
• काम आना
– युद्ध मेँ मरना।
• काम तमाम करना
– मार देना।
• काया पलट होना
– बिल्कुल बदल जाना।
• कालिख पोतना
– बदनाम करना।
• कागज की नाव
– अस्थायी/क्षण भंगुर।
• कान कतरना
– मात करना/बहुत चतुर होना।
• कान का कच्चा
– हर किसी बात पर विश्वास करने वाला।
• कागजी घोड़े दौड़ाना
– केवल लिखा–पढ़ी करते रहना/बहुत पत्र व्यवहार करना।
• कानोँ मेँ उँगली देना
– कोई आश्चर्यकारी बात सुनकर दंग रहना।
• काल के गाल मेँ जाना
– मृत्यु–पथ पर बढ़ना।
• किताब का कीड़ा
– हर समय पढ़ते रहना।
• कीचड़ उछालना
– बदनामी करना/नीचता दिखाना/कलंक लगाना।
• कुएँ मेँ बाँस डालना
– बहुत दूर तक खोज करना।
• कुएँ मेँ भांग पड़ना
– सब की बुद्धि मारी जाना।
• कोल्हू का बैल
– कड़ी मेहनत करते रहने वाला।
• कौड़ी के मोल बिकना
– अत्यधिक सस्ता होना।
• कौड़ी–कौड़ी पर जान देना
– कंजूस होना।
• खटाई मेँ पड़ना
– टल जाना/काम मेँ रुकावट आना।
• खाक मेँ मिलना
– नष्ट हो जाना।
• खाक मेँ मिलाना
– नष्ट कर देना।
• ख्याली पुलाव बनाना
– कपोल कल्पनाएँ करना।
• खालाजी का घर
– आसान काम।
• खाक छानना
– बेकार फिरना/दर–दर भटकना।
• खिचड़ी पकाना
– गुप्त रूप से षड्यंत्र रचना।
• खून का प्यासा
– भयंकर दुश्मनी/शत्रु।
• खून का घूँट पीना
– क्रोध को अंदर ही अंदर सहना।
• खून सूखना
– डर जाना।
• खून खौलना
– जोश मेँ आना।
• खून–पसीना एक करना
– बहुत परिश्रम करना।
• खून सफेद हो जाना
– दया न रह जाना।
• खेत रहना
– मारा जाना।
• गंगा नहाना
– बड़ा कार्य कर देना।
• गत बनाना
– पीटना।
• गर्दन उठाना
– विरोध करना।
• गले का हार
– अत्यंत प्रिय।
• गड़े मुर्दे उखाड़ना
– पिछली बुरी बातेँ याद करना।
• गर्दन पर सवार होना
– पीछे पड़े रहना।
• गज भर की छाती होना
– साहसी होना।
• गाँठ बाँधना
– अच्छी तरह याद रखना।
• गाल बजाना
– डीँग मारना।
• गागर मेँ सागर भरना
– थोड़े मेँ बहुत कुछ कहना।
• गाजर मूली समझना
– तुच्छ समझना।
• गिरगिट की तरह रंग बदलना
– बहुत जल्दी अपनी बात से बदलना।
• गीदड़ भभकी
– दिखावटी धमकी।
• गुड़–गोबर करना
– बना बनाया कार्य बिगाड़ देना।
• गुल खिलाना
– कोई बखेड़ा खड़ा करना/ऐसा कार्य करना जो दूसरोँ को उचित न लगे।
• गुदड़ी मेँ लाल होना
– गरीबी मेँ भी गुणवान होना।
• गूलर का फूल
– दुर्लभ का व्यक्ति या वस्तु।
• गेहूँ के साथ घुन पिसना
– दोषी के साथ निर्दोष पर भी संकट आना।
• गोबर गणेश
– बिल्कुल बुद्धू/निरा मूर्ख।
• घर फूँककर तमाशा देखना
– अपनी हानि करके मौज उड़ाना।
• घड़ोँ पानी पड़ना
– बहुत लज्जित होना।
• घड़ी मेँ तोला घड़ी मेँ माशा
– अस्थिर चित्त वाला व्यक्ति।
• घर मेँ गंगा बहाना
– बिना कठिनाई के कोई अच्छी वस्तु पास मेँ ही मिल जाना।
• घास खोदना
– व्यर्थ समय गँवाना।
• घाट–घाट का पानी पीना
– बहुत अनुभवी होना।
• घाव पर नमक छिड़कना
– दुःखी को और दुःख देना।
• घी के दिये जलाना
– बहुत खुशियाँ मनाना।
• घुटने टेक देना
– हार मान लेना।
• घोड़े बेचकर सोना
– निश्चिन्त होना।
• चलती चक्की मेँ रोड़ा अटकाना
– कार्य मेँ बाधा डालना।
• चंडाल चौकड़ी
– निकम्मे बदमाश लोग।
• चप्पा–चप्पा छान मारना
– हर जगह ढूँढ लेना।
• चाँदी का जूता
– घूस का धन।
• चाँदी का जूता देना
– रिश्वत देना।
• चाँदी होना
– लाभ ही लाभ होना।
• चादर से बाहर पैर पसारना
– आमदनी से अधिक खर्च करना।
• चादर तानकर सोना
– निश्चिँत होना।
• चार चाँद लगाना
– शोभा बढ़ाना।
• चार दिन की चाँदनी
– थोड़े दिनोँ का सुख/अस्थायी वैभव।
• चिकना घड़ा
– बेशर्म।
• चिकना घड़ा होना
– कोई प्रभाव न पड़ना।
• चिराग तले अँधेरा
– दूसरोँ को उपदेश देने वाले व्यक्ति का स्वयं अच्छा आचरण नहीँ करना।
• चिकनी–चुपड़ी बातेँ करना
– मीठी–मीठी बातेँ करके धोखा देना/चापलूसी करना।
• चीँटी के पर निकलना
– नष्ट होने के करीब होना/अधिक घमण्ड करना।
• चुटिया हाथ मेँ होना
– वश मेँ होना।
• चुल्लू भर पानी मेँ डूब मरना
– लज्जा का अनुभव करना/शर्म के मारे मुँह न दिखाना।
• चूना लगाना
– धोखा देना।
• चूड़ियाँ पहनना
– औरतोँ की तरह कायरता दिखाना।
• चेहरे पर हवाईयाँ उड़ना
– घबरा जाना।
• चैन की बंशी बजाना
– सुख से रहना।
• चोटी का पसीना एड़ी तक आना
– कड़ा परिश्रम करना।
• चोली दामन का साथ
– घनिष्ठ सम्बन्ध।
• चौदहवीँ का चाँद
– बहुत सुन्दर।
• छक्के छुड़ाना
– बुरी तरह हरा देना।
• छठी का दूध याद आना
– घोर संकट मेँ पड़ना/संकट मेँ पिछले सुख की याद आना।
• छप्पर फाड़कर देना
– अचानक लाभ होना/बिना प्रयास के सम्पत्ति मिलना।
• छाती पर पत्थर रखना
– चुपचाप दुःख सहन करना।
• छाती पर साँप लोटना
– बहुत ईर्ष्या करना।
• छाती पर मूँग दलना
– बहुत परेशान करना/कष्ट देना।
• छूमन्तर होना
– गायब हो जाना।
• छोटे मुँह बड़ी बात करना
– अपनी हैसियत से ज्यादा बात कहना।
• जंगल मेँ मंगल होना
– उजाड़ मेँ चहल–पहल होना।
• जमीन पर पैर न रखना
– अधिक घमण्ड करना।
• जहर का घूँट पीना
– असह्य बात सहन कर लेना।
• जलती आग मेँ कूदना
– विपत्ति मेँ पड़ना।
• जबान पर चढ़ना
– याद आना।
• जबान मेँ लगाम न होना
– बेमतलब बोलते जाना।
• जमीन आसमान एक करना
– सब उपाय कर डालना।
• जमीन आसमान का फर्क
– बहुत भारी अंतर।
• जलती आग मेँ तेल डालना
– और भड़काना।
• जहर उगलना
– कड़वी बातेँ करना।
• जान के लाले पड़ना
– गम्भीर संकट मेँ पड़ना।
• जान पर खेलना
– मुसीबत मेँ रहकर काम करना।
• जान हथेली पर रखना
– प्राणोँ की परवाह न करना।
• जी चुराना
– किसी काम से दूर भागना।
• जी का जंजाल
– व्यर्थ का झंझट।
• जी भर जाना
– हृदय द्रवित होना।
• जीती मक्खी निगलना
– जानबूझकर बेईमानी करना।
• जी पर आ बनना
– मुसीबत मेँ आ फँसना।
• जी चुराना
– काम करने से कतराना।
• जूतियाँ चटकाना/तोड़ना
– मारे–मारे फिरना।
• जूतियाँ/जूते चाटना
– चापलूसी करना।
• जूतियोँ मेँ दाल बाँटना
– लड़ाई झगड़ा हो जाना।
• जोड़–तोड़ करना
– उपाय करना।
• झक मारना
– व्यर्थ परिश्रम करना।
• झाडू फिराना
– सब कुछ बर्बाद कर देना।
• झोली भरना
– अपेक्षा से अधिक देना।
• टका–सा जवाब देना
– दो टूक/रूखा उत्तर देना या मना करना।
• टट्टी की ओट मेँ शिकार खेलना
– छिपकर षड्यन्त्र रचना।
• टका–सा मुँह लेकर रह जाना
– लज्जित हो जाना।
• टाँग अड़ाना
– हस्तक्षेप करना।
• टाँय–टाँय फिस हो जाना
– काम बिगड़ जाना।
• टेढ़ी उँगली से घी निकालना
– शक्ति से कार्य सिद्ध करना।
• टेढ़ी खीर
– कठिन काम।
• टूट पड़ना
– सहसा आक्रमण कर देना।
• टोपी उछालना
– अपमान करना।
• ठंडा पड़ना
– क्रोध शान्त होना।
• ठन–ठन गोपाल
– निर्धन व्यक्ति/खोखला।
• ठिकाने आना
– ठीक स्थान पर आना।
• ठीकरा फोड़ना
– दोष लगाना।
• ठोकर खाना
– हानि उठाना।
• डंका बजाना
– ख्याति होना/प्रभाव जमाना/घोषणा करना।
• डंके की चोट कहना
– स्पष्ट कहना।
• डकार जाना
– किसी की चीज को लेकर न देना/माल पचा जाना।
• डोरी ढीली छोड़ना
– नियन्त्रण मेँ ढील देना।
• डोरे डालना
– प्रेम मेँ फँसाना।
• ढपोरशंख होना
– झूठा या गप्पी आदमी।
• ढाई दिन की बादशाहत
– थोड़े दिन की मौज–बहार।
• ढिँढोरा पीटना
– अति प्रचारित करना/सबको बताना।
• ढोल मेँ पोल होना
– थोथा या सारहीन।
• तलवे चाटना
– खुशामद करना।
• तार–तार होना
– पूरी तरह फट जाना।
• तारे गिनना
– रात को नीँद न आना/व्यग्रता से प्रतीक्षा करना।
• तिल का ताड़ करना
– बढ़ा चढ़ाकर बातेँ करना।
• तितर–बितर होना
– बिखर कर भाग जाना।
• तीन का तेरह होना
– अलग–अलग होना।
• तूती बोलना
– खूब प्रभाव होना।
• तेल की कचौड़ियोँ पर गवाही देना
– सस्ते मेँ काम करना।
• तेली का बैल होना
– हर समय काम मेँ लगे रहना।
• तेवर चढ़ाना
– गुस्सा होना।
• थाह लेना
– पता लगाना।
• थाली का बैँगन
– लाभ–हानि देखकर पक्ष बदलने वाला व्यक्ति/सिद्धान्तहीन व्यक्ति।
• थूककर चाटना
– बात कहकर बदल जाना।
• दबे पाँव चलना
– ऐसे चलना जिससे चलने की कोई आहट न हो।
• दमड़ी के लिए चमड़ी उधेड़ना
– मामूली सी बात के लिए भारी दण्ड देना।
• दम तोड़ देना
– मृत्यु को प्राप्त होना।
• दाँतोँ तले उँगली दबाना
– आश्चर्य करना/हैरान होना।
• दाँत पीसना
– क्रोध करना।
• दाँत पीसकर रहना
– क्रोध पीकर चुप रहना।
• दाँत काटी रोटी होना
– घनिष्ठ मित्रता।
• दाँत उखाड़ना
– कड़ा दण्ड देना।
• दाँत खट्टे करना
– परास्त करना/नीचा दिखाना।
• दाई से पेट छिपाना
– परिचित से रहस्य को छिपाये रखना।
• दाने–दाने को तरसना
– अत्यंत गरीब होना।
• दाल मेँ काला होना
– सन्देहपूर्ण होना/गड़बड़ होना।
• दाल न गलना
– वश नहीँ चलना/सफल न होना।
• दाहिना हाथ होना
– अत्यन्त विश्वासपात्र बनना/बहुत बड़ा सहायक।
• दामन पकड़ना
– सहारा लेना।
• दाना–पानी उठना
– जगह छोड़ना।
• दिन फिरना
– भाग्य पलटना।
• दिन मेँ तारे दिखाई देना
– घबरा जाना/अजीब हालत होना।
• दिन–रात एक करना
– खूब परिश्रम करना।
• दिन दूनी रात चौगुनी होना
– बहुत जल्दी–जल्दी होना।
• दिमाग आसमान पर चढ़ना
– बहुत घमण्ड होना।
• दुम दबाकर भागना
– डर के मारे भागना।
• दूध का दूध और पानी का पानी
– उचित न्याय करना।
• दूध का धुला/धोया होना
– निर्दोष या निष्कलंक होना।
• दूध के दाँत न टूटना
– ज्ञान और अनुभव का न होना।
• दो दिन का मेहमान
– जल्दी मरने वाला।
• दो नावोँ पर पैर रखना
– दोनोँ तरफ रहना/एक साथ दो लक्ष्योँ को पाने की चेष्टा करना।
• दो टूक जवाब देना
– साफ–साफ उत्तर देना।
• दौड़–धूप करना
– कठोर श्रम करना।
• दृष्टि फेरना
– अप्रसन्न होना।
• धज्जियाँ उड़ाना
– नष्ट–भ्रष्ट करना।
• धरती पर पाँव न पड़ना
– अभिमान मेँ रहना।
• धूल फाँकना
– व्यर्थ मेँ भटकना।
• धूप मेँ बाल सफेद करना
– अनुभवहीन होना।
• धूल मेँ मिल जाना
– नष्ट हो जाना।
• नकेल हाथ मेँ होना
– वश मेँ होना।
• नमक मिर्च लगाना
– बात बढ़ा–चढ़ाकर कहना।
• नाक कटना
– बदनामी होना।
• नाक काटना
– अपमानित करना।
• नाक चोटी काटकर हाथ मेँ देना
– दुर्दशा करना।
• नाक भौँ चढ़ाना
– घृणा या असन्तोष प्रकट करना।
• नाक पर मक्खी न बैठने देना
– बहुत साफ रहना/अपने पर आँच न आने देना।
• नाक रगड़ना
– दीनता दिखाना।
• नाक रखना
– मान रखना।
• नाक में दम करना
– बहुत तंग करना।
• नाक का बाल होना
– किसी के ज्यादा निकट होना।
• नाकोँ चने चबाना
– बहुत तंग करना।
• नानी याद आना
– कठिनाई मेँ पड़ना/घबरा जाना।
• निन्यानवेँ के फेर मेँ पड़ना
– पैसा जोड़ने के चक्कर मेँ पड़ना।
• नीला–पीला होना
– गुस्से होना।
• नौ दो ग्यारह होना
– भाग जाना।
• नौ दिन चले ढाई कोस
– बहुत धीमी गति से कार्य करना।
• पगड़ी उछालना
– बेइज्जत करना।
• पगड़ी रखना
– इज्जत रखना।
• पसीना–पसीना होना
– बहुत थक जाना।
• पहाड़ टूट पड़ना
– भारी विपत्ति आ जाना।
• पाँचोँ उँगलियाँ घी मेँ होना
– सब ओर से लाभ होना।
• पाँव उखड़ना
– हारकर भाग जाना।
• पाँव फूँक–फूँक कर रखना
– सावधानी से कार्य करना।
• पानी-पानी होना
– अत्यधिक लज्जित होना।
• पानी में आग लगाना
– शांति भंगकर देना।
• पानी फेर देना
– निराश कर देना।
• पानी भरना
– तुच्छ लगना।
• पानी पी–पीकर कोसना
– गालियाँ बकते जाना।
• पानी का मोल होना
– बहुत सस्ता।
• पापड़ बेलना
– बेकार जीवन बिताना।
• पीठ दिखाना
– कायरता का आचरण करना।
• पेट काटना
– अपने ऊपर थोड़ा खर्च करना।
• पेट मेँ चूहे दौड़ना/कूदना
– भूख लगना।
• पेट बाँधकर रहना
– भूखे रहना।
• पेट मेँ रखना
– बात छिपाकर रखना।
• पेट मेँ दाढ़ी होना
– दिखने मेँ सीधा, परन्तु चालाक होना।
• पैर उखड़ना
– भागने पर विवश होना।
• पैर जमीन पर न टिकना
– प्रसन्न होना, अभिमानी होना।
• पैरोँ तले से जमीन निकल/खिसक/सरक जाना
– होश उड़ जाना।
• पैरोँ मेँ मेँहदी लगाकर बैठना
– कहीँ जा न सकना।
• पौ बारह होना
– खूब लाभ होना।
• प्राण हथेली पर लिए फिरना
– जीवन की परवाह न करना।
• फट पड़ना
– एकदम गुस्से मेँ हो जाना।
• फूँक–फूँककर कदम रखना
– सावधानी बरतना।
• फूटी आँख न सुहाना
– अच्छा न लगना।
• फूला न समाना
– अत्यधिक खुश होना।
• फूलकर कूप्पा होना
– बहुत खुश या बहुत नाराज होना।
• बंदर घुड़की/भभकी
– प्रभावहीन धमकी।
• बखिया उधेड़ना
– भेद खोलना।
• बछिया का ताऊ
– मूर्ख।
• बट्टा लगना
– कलंक लगना।
• बड़े घर की हवा खाना
– जेल जाना।
• बरस पड़ना
– अति क्रुद्ध होकर डाँटना।
• बल्लियोँ उछलना
– बहुत प्रसन्न होना।
• बाँए हाथ का खेल
– बहुत सरल काम।
• बाँछे खिल जाना
– अत्यंत प्रसन्न होना।
• बाजार गर्म होना
– काम–धंधा तेज होना।
• बात का धनी होना
– वचन का पक्का होना।
• बाल की खाल निकालना
– नुकता–चीनी करना/बहुत तर्क–वितर्क करना।
• बाल बाँका न होना/कर सकना
– कुछ भी नुकसान न होना/कर सकना।
• बाल–बाल बचना
– बड़ी कठिनाई से बचना।
• बासी कढ़ी मेँ उबाल आना
– समय बीत जाने पर इच्छा जागना।
• बिल्ली के गल्ले मेँ घंटी बाँधना
– अपने को संकट मेँ डालना।
• बेपेँदी का लोटा
– ढुलमुल/पक्ष बदलने वाला।
• भंडा फोड़ना
– भेद खोल देना।
• भाड़ झोँकना
– समय व्यर्थ खोना।
• भाड़े का टट्टू
– पैसे लेकर ही काम करने वाला।
• भीगी बिल्ली बनना
– सहम जाना।
• भैँस के आगे बीन बजाना
– मूर्ख आदमी को उपदेश देना।
• मक्खन लगाना
– चापलूसी करना।
• मक्खियाँ मारना
– बेकार रहना।
• मन के लड्डू
– मनमोदक/कल्पना करना।
• माथा ठनकना
– संदेह होना।
• मिट्टी का माधो
– बिल्कुल बुद्धू।
• मिट्टी खराब करना
– बुरा हाल करना।
• मिट्टी मेँ मिल जाना
– बर्बाद होना।
• मुँहतोड़ जवाब देना
– बदले मेँ करारी चोट करना।
• मुँह की खाना
– हार मानना।
• मुँह में पानी भर आना
– खाने को जी ललचाना।
• मुँह खून लगना
– रिश्वत लेने की आदत पड़ जाना।
• मुँह छिपाना
– लज्जित होना।
• मुँह रखना
– मान रखना।
• मुँह पर कालिख पोतना
– कलंक लगाना।
• मुँह उतरना
– उदास होना।
• मुँह ताकना
– दूसरे पर आश्रित होना।
• मुँह बंद करना
– चुप कर देना।
• मुट्ठी मेँ होना
– वश मेँ होना।
• मुट्ठी गर्म करना
– रिश्वत देना।
• मोहर लगा देना
– पुष्टि करना।
• मौत सिर पर खेलना
– मृत्यु समीप होना।
• रंग उड़ना
– घबरा जाना।
• रंग मेँ भंग पड़ना
– आनन्दपूर्ण कार्य मेँ बाधा पड़ना।
• रंग बदलना
– परिवर्तन होना।
• रंगा सियार होना
– धोखा देने वाला।
• रफूचक्कर होना
– भाग जाना।
• राई का पहाड़ बनाना
– जरा–सी बात को बढ़ा–चढ़ाकर प्रस्तुत करना।
• रोँगटे खड़े होना
– डर से रोमांचित होना।
• रोड़ा अटकाना
– बाधा डालना।
• रोम–रोम खिल उठना
– प्रसन्न होना।
• लँगोटी मेँ फाग खेलना
– गरीबी मेँ आनन्द लूटना।
• लकीर पीटना
– पुरानी रीति पर चलना।
• लकीर का फकीर होना
– प्राचीन परम्पराओँ को सख्ती से मानने वाला।
• लड़ाई मोल लेना
– झगड़ा पैदा करना।
• लट्टू होना
– मस्त होना/मोहित होना।
• ललाट मेँ लिखा होना
– भाग्य मेँ बदा होना।
• लहू का घूँट पीना
– अपमान सहन करना।
• लाख का घर राख
– धनी का निर्धन हो जाना।
• लाल–पीला होना
– क्रोधित होना।
• लुटिया डुबोना
– काम बिगाड़ना।
• लेने के देने पड़ना
– लाभ के स्थान पर हानि होना।
• लोहा मानना
– किसी की शक्ति स्वीकार करना।
• लोहे के चने चबाना
– कठिन काम करना/बहुत संघर्ष करना।
• विष उगलना
– द्वेषपूर्ण बातेँ करना/बुरा–भला कहना।
• शहद लगाकर चाटना
– तुच्छ वस्तु को महत्त्व देना।
• शिकार हाथ लगना
– आसामी मिलना।
• शैतान की आँत
– लम्बी बात।
• शैतान के कान कतरना
– बहुत चालाक होना।
• श्रीगणेश करना
– शुरु करना।
• सब्ज बाग दिखाना
– कोरा लोभ देकर बहकाना।
• साँप को दूध पिलाना
– दुष्ट की रक्षा करना।
• साँप–छछूंदर की गति होना
– असंमजस या दुविधा की दशा होना।
• साँप सूँघ जाना
– गुप–चुप हो जाना।
• सात घाट का पानी पीना
– विस्तृत अनुभव होना।
• सिँदूर चढ़ाना
– लड़की का विवाह होना।
• सिट्टी–पिट्टी गुम हो जाना
– होश उड़ जाना।
• सितारा चमकना
– भाग्यशाली होना।
• सिर पर कफना बाँधना
– बलिदान देने के लिए तैयार होना।
• सिर पर सवार होना
– पीछे पड़ना।
• सिर पर चढ़ना
– मुँह लगना।
• सिर मढ़ना
– जिम्मे लगाना।
• सिर मुँड़ाते ओले पड़ना
– काम शुरु होते ही बाधा आना।
• सिर से बला टलना
– मुसीबत से पीछा छुटना।
• सिर आँखोँ पर रखना
– आदर सहित आज्ञा मानना।
• सिर पर हाथ होना
– सहारा होना, वरदहस्त होना।
• सिर पर भूत सवार होना
– धुन लगाना।
• सिर पर मौत खेलना
– मृत्यु समीप होना।
• सिर पर खून सवार होना
– मरने-मारने को तैयार होना।
• सिर–धड़ की बाजी लगाना
– प्राणों की भी परवाह न करना।
• सिर नीचा करना
– लजा जाना।
• सिर उठाना
– विद्रोह करना।
• सिर ओखली मेँ देना
– जान–बूझकर मुसीबत मोल लेना।
• सिर पर चढ़ाना
– अत्यधिक मनमानी करने की छूट देना।
• सिर से पानी गुजरना
– सहनशीलता समाप्त होना।
• सिर पर पाँव रखकर भागना
– तेजी से भागना।
• सिर धुनना
– पछताना।
• सीँग काटकर बछड़ोँ मेँ मिलना
– बूढ़े होकर भी बच्चोँ जैसा काम करना।
• सूखे धान पर पानी पड़ना
– दशा सुधरना।
• सूर्य को दीपक दिखाना
– अत्यन्त प्रसिद्ध व्यक्ति का परिचय देना।
• सोने की चिड़िया हाथ से निकलना
– लाभपूर्ण वस्तु से वंचित रहना।
• सोने पर सुहागा होना
– अच्छी वस्तु का और अधिक अच्छा होना।
• हक्का–बक्का रहना
– आश्चर्यचकित होना/हैरान रह जाना।
• हथियार डाल देना
– हार मान लेना।
• हवाई किले बनाना
– थोथी कल्पना करना।
• हथेली पर सरसोँ उगना
– कम समय मेँ अधिक कार्य करना।
• हजामत बनाना
– लूटना/ठगना।
• हथेली पर जान लिए फिरना
– मरने की परवाह न करना।
• हवा लगना
– असर पड़ना।
• हवा से बातें करना
– बहुत तेज दौड़ना।
• हवा हो जाना
– गायब हो जाना/भाग जाना।
• हवा पलटना
– समय बदल जाना।
• हवा का रुख पहचानना
– अवसर की आवश्यकता को पहचानना।
• हाथ का मैल
– साधारण चीज।
• हाथ कट जाना
– परवश होना।
• हाथ मेँ करना
– अपने वश मेँ करना।
• हाथ को हाथ न सूझना
– घना अन्धकार होना।
• हाथ खाली होना
– रुपया-पैसा न होना।
• हाथ खींचना
– साथ न देना।
• हाथ पे हाथ धरकर बैठना
– निकम्मा होना/बिना कार्य के बैठे रहना।
• हाथों के तोते उड़ना
– दुःख से हैरान होना/अचानक घबरा जाना।
• हाथोंहाथ
– बहुत जल्दी/तत्काल।
• हाथ मलते रह जाना
– पछताना।
• हाथ साफ करना
– चुरा लेना/बेईमानी से लेना।
• हाथ–पाँव मारना
– प्रयास करना।
• हाथ–पाँव फूलना
– घबरा जाना।
• हाथ डालना
– शुरू करना।
• हाथ फैलाना
– माँगना।
• हाथ धोकर पीछे पड़ना
– बुरी तरह पीछे पड़ना/पीछा न छोड़ना।
• हिन्दी की चिन्दी निकालना
– बात की तह तक पहुँचना।
• हुक्का–पानी बन्द कर देना
– जाति से बाहर कर देना।
• हुलिया बिगाड़ना
– दुर्गत करना।
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