Friday, 14 October 2016

समस्याग्रस्त बालक : पहचान एवं विदान

समस्याग्रस्त बालक :: पहचान एवं निदानात्मक पक्ष

  • जिनका व्यव्हार गंभीर रूप से असामान्य होता है .
  • समस्यात्मक बालक कई परिवारों में पाए जाते है .
  • यह अआवश्यक नहीं की समस्यात्मक बालक कक्षा में पिछड़ा हो , इनकी मानसिक योग्यता औसत या औसत से अधिक कितनी भी हो सकती है .
  • अपराधी बालक और समस्यात्मक बालक में अंतर होता है.
  • प्रत्येक अपराधी बालक समस्यात्मक होता है लेकिन प्रत्येक समस्यात्मक बालक अपराधी नहीं होता . 
  • समस्यात्मक बालक की समस्या स्थायी नहीं होती , उचित मार्गदर्शन एवं परामर्श से यह कुछ समय/वर्षो में सही हो सकती है.

समस्यात्मक बालको के प्रकार - विभिन्न प्रयोगों में इनके विभिन्न प्रकार बताये गए है .-

 स्पार्क - 1952 का प्रयोग 
  1. कक्षा में पढाई के बीच बाधा पैदा करने वाले .
  2. कार्य में असावधानी करने वाले बच्चे .
  3. बैचेनी प्रदर्शित करने वाले बच्चे.
  4. कानाफूसी करने वाले बच्चे .
  5. बेवकूफी करने वाले बचे .
  6. चिंतन हिन् बच्चे.
  7. अधिक कौतुक करने वाले 
  • स्टाफर व औवन्स का प्रयोग-1955 : साधारण चोरी ,झूठ,धोखा,सुस्त,अनैतिक,आज्ञा का उल्लंघन ,बड़ों का सम्मान न करना,कक्षा से भागने वाला , आदि .
  • ब्रीडेन 1956 ने 28 प्रकार बताये, इनमे प्रमुख -चोरी ,धोखा ,झूठ,दुराचार,समय नष्ट करने वाले सामग्री नष्ट करने वाले ,आज्ञा का उल्लंघन ,गन्दी भाषा की आदत ,कक्षा से भागना , न पढना ., किसी -किसी छात्र में उपर्युक्त में से कई लक्षण एक साथ भी पाए जा सकते है.
  • कारण : 
  1. बुद्धि 
  2. शारीरिक दोष 
  3. समाज में अनैतिकता 
  4. पारिवारिक वातावरण 
  5. फिल्म व गन्दा साहित्य 
  6. बेकारी,भ्रष्टाचारी और जातीय भेदभाव आदि 
  • उपाय : व्यस्त रखने का प्रयास ,निरंतर परामर्श व मार्गदर्शन , स्वस्थ आलोंचना ,उचित दंड , अभिभावक -शिक्षक संपर्क,उत्तरदायित्व की भावना का विकास , छानबीन.

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