Thursday 18 August 2016

संख्या पद्धति

संख्याओं के प्रकार 
संख्याऐं कई प्रकार की होती है, जो इस प्रकार है।
1. वास्तविक संख्याऐं -
आम गणना में प्रयोग होने वाली सभी संख्यायें वास्तविक संख्यायें कहलाती हैं | जैसे- 1,0,2/3,,√3/4 ......
    समिश्र संख्या -गणित में समिश्र संख्याएँ (complex number) वास्तविक संख्याओं का विस्तार है। किसी वास्तविक संख्या में एक काल्पनिक भाग जोड़ देने से समिश्र संख्या बनती है। समिश्र संख्या के काल्पनिक भाग के साथ i जुड़ा होता है जो निम्नलिखित सम्बन्ध को संतुष्ट करती है:
i^2= -1
किसी भी समिश्र संख्या को a + bi, के रूप में व्यक्त किया जा सकता है जिसमें a और b दोनो ही वास्तविक संख्याएं हैं। a + bi में a को वास्तविक भाग तथा b को काल्पनिक भाग कहते हैं। उदाहरण: 3 + 4i एक समिश्र संख्या है।
2. अवास्तविक संख्याऐं
3. प्राकृत संख्याऐं - 
1. ये संख्याऐं जो एक से लेकर अनन्त तक लिखी जाती है। उदा:- 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7,………. अनन्त ।
2. इन्हे N से दर्षाते है।
3. सबसे छोटी प्राकृत संख्या धनात्मक 1 है।
4. सबसे बड़ी प्राकृत संख्या धनात्मक अनन्त है

4. पुर्ण संख्याऐं-  जब प्राकृत संख्या में 0 को मिला दिया जाये तो वह संख्या पूर्ण संख्या कहलाती है 
1. वे संख्याऐं जो 0 से लेकर अनन्त तक लिखी जाती है। जैसे:- 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7,………….अनन्त ।
2. इन्हे W से दर्शाते है।3. सबसे छोटी संख्या 0 है।
4. सबसे बड़ी पूर्ण संख्या अनन्त है।
नोट :- पूर्ण संख्याओं का क्षेत्र व्यापक होता है अतः एक प्राकृत संख्या सदैव पूर्ण संख्या होगी। लेकिन
एक पूर्ण संख्या प्राकृत संख्या हो यह आवश्यक  नही है।

5. सम संख्याऐं- 
वे संख्याऐं जिनमें दो का पुरा पुरा भाग जाता है।
उदा – 2, 4, 6, 8, 10, 12, 14, 16, 20, 150, 200, 356………..सम अनन्त

6. विषम संख्याऐं - वह संख्या जिसमें 2 का पुरा पुरा भाग नही जाये ।उदाः- 1, 3, 5, 7, 9, 11, 13, 15, 17, 19, 21, 25……विषम अनन्त ।

7. पुर्णाक संख्याऐं- 
1. संख्याओं का वह समूह जो 0 प्रारम्भ होकर दोनों तरफ अर्थात् धनात्मक एवं ऋणात्मक रूप से
गणना किया जा सके पूर्ण संख्याऐं होती है । उदा. – ( अनन्त…….., -3, -2, -1, 0, 1, 2, 3,
……..अनन्त)
2. इन्हे I से दर्शाते है।

8. परिमेय संख्याऐं -
वास्तविक संख्याऐं जिनको p/q के रूप में लिखा जाये वे परिमेय संख्याऐं होती है जहाँ Q का मान किभी भी 0
या 0 के बराबर नही होगा अर्थात् Q ≠ 0 होगा ।
उदा:- 8/11, 75/89

दो परिमेय संख्या के बीच अनगिनत परिमेय संख्या निकालना:-
यदि दो संख्या p और q हैं और इनके बीच हमें n परिमेय संख्या निकालना है तो इसके दो बिधि है 
पहली विधि :- इस सूत्र में n = 1, 2, 3, ----- है 
उदाहरण:- 2 और 3 के बीच 2 परिमेय संख्या निकालें
हल :- यहाँ p = 2 और q = 3 है , पहली संख्या के लिए n = 1 लेने पर 5/2 तथा n = 2 रखने से 8/3 प्राप्त होती है. आप n के अलग अलग मान के लिए अ
पनी इच्छा से अनगिनत संख्या निकाल सकते हैं .
दूसरी विधि :- संख्य को 10 से गुना और भाग करें 
2 = 20/10 और 3 = 30/10 लिख सकते हैं. 
21/10 , 22/10 , 23/10 -----------29/10 परिमेय संख्या है . आप 100 से गुना और भाग देकर और भी अधिक संख्या निकाल सकते हैं 
2 = 200/100 और 3 = 300 / 100 है और 201/100 , 202/100---------------299/100 परिमेय है.

9. अपरिमेय संख्याऐं -
जब संख्याओं को p/q के रूप में नहीं लिखा जा सके अपरिमेय संख्याऐं होती है। जहाँ Q कभी भी 0 के बराबर
नहीं होगा । उदा:- √5, √8, √15, √7/4, ά, β. γ, δ, 10, 15 आदि ।
नोट 2:- अपरिमेय संख्याऐं कभी भी पूर्ण वर्ग नहीं होती।
नोट 3:- दो परिमेय संख्याओं का योग = परिमेय संख्या होगा ।
नोट 4:- दो परिमेय संख्याओं की गुणा = परिमेय संख्या होगी ।
नोट 5:- एक परिमेय एवं एक अपरिमेय का योग = अपरिमेय संख्या होगी ।
नोट 6:- एक परिमेय एवं एक अपरिमेय की गुणा = अपरिमेय संख्या होगी ।

10. भाज्य संख्याऐं/योग संख्याऐं/यौगिक संख्याऐं -
वे संख्याऐं जिसमें स्वयं के अलावा किसी एक या अधिक अन्य संख्या का भी पूरा-पूरा भाग जाता है।
11. अभाज्य संख्याऐं/रूढ़ संख्याएं- 
वे संख्याऐं जिनमें स्वयं के अलावा अन्य किसी संख्या का पूरा-पूरा भाग नही जाता है।
उदा. – 2, 3, 5, 7, 11, 13, 17, 19, 23, 29, 31, 37, 41, 43, 47, 53, 59, 61, 67, 71, 73,
79, आदि ।
नोट 7 – प्रथम अभाज्य संख्या 2 है।
नोट 8 – केवल प्रथम अभाज्य सम है।
नोट 9 – प्रथम अभाज्य संख्या के अलावा अन्य सभी अभाज्य संख्या विषम है।
नोट 10 – संख्या एक न तो भाज्य है न ही अभाज्य है।

दो संख्या के बीच कितने अभाज्य संख्या है को निकालने के लिए कोई संख्या इरास्थेनिस के द्वारा एक बिधि का उल्लेख आता है परन्तु प्रतियोगिता परीक्षा में किसी दी हुई संख्या के अभाज्य होने या न होने पर प्रश्न पूछे जाते हैं. मान लीजिये की p एक दी हुई संख्या है तो सबसे पहले आप n एक ऐसी संख्या खोजिये जिससे n^2 ≥ p हो . अब आप n से छोटी सभी अभाज्य संख्या से p को भाग दें यदि p इनमे से किसी भी संख्या से भाजित न हो तो p अभाज्य है नहीं तो p भाज्य होगी 
उदाहरण :- क्या 437 अभाज्य है ?
हल :- यहाँ (21)^2 > 437 है और 21 से छोटी अभाज्य संख्या क्रमशः 2, 3, 5, 7,11,13,17,19 है और 437 संख्या 19 से विभाजित है अतः 437 अभाज्य नहीं है
उदाहरण :- क्या 811 अभाज्य है ?
हल :- यहाँ (30)^2 > 811 है और 30 से छोटी अभाज्य संख्या क्रमशः 2, 3, 5, 7,11,13,17,19,23 और 29 है और 437 किसी संख्या से विभाजित नहीं है अतः 811 अभाज्य है. 
12. सह अभाज्य संख्याऐ -
1. ऐसी संख्याओं का जोड़ा जिनमें उभनिष्ठ गुणनखड न हो अर्थात् संख्याओं का ऐसा जोड़ा जिनको किसी एक
ही संख्या से विभाजित नही किया जा सकता ।
2. सह अभाज्य में 1 संख्या भाज्य भी हो सकती है।
3. उभनिष्ठ गुणनखण्ड में 1 नही माना जाता है
उदा.- 3, 8 5, 16 7, 20 आदि जोड़े सहअभाज्य है।

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