बच्चे कैसे सोचते और सीखते है ,बच्चे शाला प्रदर्शन में सफलता प्राप्त करने में क्यों और कैसे असफल होते है ...
1.पारंपरिक शिक्षण-प्रणाली बालक परीक्षा -केन्द्रित अध्ययन करता रहा है इस कारण उसका चिंतन भी परीक्षा में अधिक अंक प्राप्त करना रहा है .
2.इसी कारण से उनके कौशलों के विकास पर प्रश्न चिन्ह रहा है .नयी पद्धतियों ने शिक्षण-प्रणाली को बाल-केन्द्रित और कौशल आधारित बनाया है इससे बालको की सोच और द्रष्टिकोण में परिवर्तन आया है .
3.बच्चो के स्कूली प्रदर्शन में असफलता के निम्नलिखित कारण माने गए है -
1.पारंपरिक शिक्षण-प्रणाली बालक परीक्षा -केन्द्रित अध्ययन करता रहा है इस कारण उसका चिंतन भी परीक्षा में अधिक अंक प्राप्त करना रहा है .
2.इसी कारण से उनके कौशलों के विकास पर प्रश्न चिन्ह रहा है .नयी पद्धतियों ने शिक्षण-प्रणाली को बाल-केन्द्रित और कौशल आधारित बनाया है इससे बालको की सोच और द्रष्टिकोण में परिवर्तन आया है .
3.बच्चो के स्कूली प्रदर्शन में असफलता के निम्नलिखित कारण माने गए है -
- अभ्यास की कमी
- तत्परता की कमी
- अनुकूल वातावरण का आभाव
- छात्र का शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य
- प्रेरणा का आभाव
- बार्डर-लाईन/ख़राब प्रदर्शन की सीमा में है -उनकी परामर्श /उपचारात्मक प्रणाली सुद्रढ़ करना.
- असफलता के भय से मुक्त कराना और विषय के प्रति मैत्री भाव स्थापित करना. टू रिलीज द फोबिया .
- जो पहले से असफल है उसे असफलता की निराशा से उबारना और सतत संपर्क के माध्यम से नयी प्रेरणा भरना.
- पुनरावृति/पुनः प्रेरणा का लगातार प्रयोग करना.
- असफलता में निर्देशन व परामर्श की बड़ी भूमिका होती है .असफलता बालकों को अनेक प्रकार से आत्महत्या तक ले गई है .अतः शिक्षक और शिक्षा प्रणाली को मिलकर असफलता को शिक्षशात्र में सफलता के सूत्र में बदलने का कार्य करना है .
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